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बिहार कांग्रेस में तूफान ला सकते हैं पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी, बाबा साहेब की तस्वीर के मायने

पटना : महागठबंधन टूटने के बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी ने मीडिया के सामने यह कहकर अपनी भड़ास निकाल ली कि उन्हें पार्टी ने सेफ एक्जिट का मौका नहीं दिया. अशोक चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने ठीक बायी ओर बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की तस्वीर भी रखी […]

पटना : महागठबंधन टूटने के बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी ने मीडिया के सामने यह कहकर अपनी भड़ास निकाल ली कि उन्हें पार्टी ने सेफ एक्जिट का मौका नहीं दिया. अशोक चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने ठीक बायी ओर बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की तस्वीर भी रखी थी. डॉ. अशोक चौधरी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. उनके पिता स्व. महावीर चौधरी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. अशोक चौधरी दलित वर्ग से आते हैं. अशोक चौधरी के पास टोयोटा ऑल्टिस और स्कॉर्पियो गाड़ी है. उन्हें कीमती पत्थरों और सोना से भी बेहद लगाव है. उनके पास 5 .60 लाख रुपये का सोना और आभूषण है. पटना में आलीशान मकान है. गंगा किनारे लक्जरी फ्लैट है, फिर भी राजनीति में अशोक चौधरी दलित हैं. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने दलित होने की दुहाई दी और राहुल गांधी के दलितों के घर भोजन करने पर तंज कसते हुए, अपने को पार्टी द्वारा अपमानित करने की बात कही. सवाल यह है, कि अशोक चौधरी क्या दलित कार्ड खेलकर बिहार की पारंपरिक जातिगत समीकरण वाली राजनीति के रास्ते सहानुभूति बटोरना चाहते हैं या फिर किसी और पार्टी में दलित नेता होने के नाते अच्छे पद मिलने की जमीन तैयार करना चाहते हैं ?

कांग्रेस को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि अशोक चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह के तेवर का प्रदर्शन किया है, उससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि वह कांग्रेस में दलितों के प्रताड़ित होने वाला कार्ड खेल सकते हैं. उन्होंने कहा कि अशोक चौधरी ऊपर से भले यह कहते रहें कि वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर सारी समस्याओं और अपने ऊपर हुए अत्याचार से अवगत करायेंगे, लेकिन वह पार्टी को अंदर ही अंदर काफी नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेंगे. वैसे भी अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद अशोक चौधरी के सामने बिहार की सियासत में संभावनाओं की कमी नहीं है. उन्हें बिहार की बाकी पार्टियों की ओर से ऑफर मिल रहा है, वह जहां चाहें जा सकते हैं. सियासी हलकों में चल रही चर्चा पर ध्यान दें, तो यह कहा जा रहा है कि अशोक चौधरी ने डॉ. अंबेदकर की तस्वीर के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर यह साफ कर दिया है कि अब वह दलित कार्ड के भरोसे ही बिहार में राजनीति करेंगे.

पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी अध्यक्ष पद से हटने के बाद से लगातार कांग्रेस के उन विधायकों के संपर्क में बने हुए हैं, जो इनके समर्थक हैं और साथ ही केंद्रीय नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें, तो अशोक चौधरी बहुत जल्द अपने समर्थकों के साथ नीतीश कुमार की शरण में जा सकते हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी के 27 में से 18 विधायक अशोक चौधरी के समर्थन में हैं. कहीं ऐसा न हो कि दल बदल कानून की सीमा के अंदर ही सही, सभी लोग जदयू को समर्थन कर दें. हालांकि, जदयू नेता और विधान पार्षद संजय सिंह ने पहले ही कांग्रेस के नेताओं को जदयू का दामन थामने का ऑफर दे रखा है. अशोक चौधरी के उस बयान के मतलब को समझिए, जिसमें उन्होंने कहा कि वह दलित हैं, इसलिए पार्टी ने उन्हें पद से हटाया गया है. चौधरी ने कहा था कि पार्टी के निर्णय का मैं स्वागत करता हूं, लेकिन जिस तरह से हमें अपमानित करके निकाला गया है, उसके हम हकदार नहीं थे. मैं दलित हूं, इसलिए मुझे अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है. मुझे यह फैसला मंजूर नहीं है.

फिलहाल, बिहार प्रदेश कांग्रेस के अंदरखाने से यह खबर आ रही है कि नये कार्यकारी अध्यक्ष से मिलने के लिए कोई भी कांग्रेस विधायक आतुर नहीं दिख रहे हैं. छिटपुट लोगों को छोड़ दें, तो किसी ने उन्हें शुभकामना भी नहीं दी है. राजनीतिक गलियारों में टहलने वाले नेताओं का कहना है कि अशोक चौधरी का इफेक्ट पार्टी पर दिखने लगा है, बहुत जल्द कुछ बड़ा होने की उम्मीद जगी है. कुछ नेताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ही कहा कि वे लोग अशोक चौधरी के साथ हैं, बस उनके कदम बढ़ाने की देर है, वह लोग फ्रंट पर आकर समर्थन करेंगे.

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