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गांधी जयंती आज : सौ साल पहले जन्मदिन पर RANCHI में थे बापू

चंपारण इन्क्वायरी कमेटी के सदस्य के रूप में बैठक में शामिल हुए थे पुष्यमित्र पटना : आज दो अक्तूबर, 2017 है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 148वां जन्मदिन. यह जानना रोचक है कि सौ साल पहले जब गांधी अपना 48वां जन्मदिन मना रहे थे, तो वह कहां थे और क्या कर रहे थे. ब्रिटिश सरकार के […]

चंपारण इन्क्वायरी कमेटी के सदस्य के रूप में बैठक में शामिल हुए थे
पुष्यमित्र
पटना : आज दो अक्तूबर, 2017 है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 148वां जन्मदिन. यह जानना रोचक है कि सौ साल पहले जब गांधी अपना 48वां जन्मदिन मना रहे थे, तो वह कहां थे और क्या कर रहे थे. ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि वे इस मौके पर रांची में थे, जहां चंपारण के किसानों की किस्मत का फैसला हो रहा था. तय हो रहा था कि तिनकठिया प्रथा को रहने दिया जाये या खत्म कर दिया जाये.
सरहबेसी, तवान और दूसरे अमानवीय करों का क्या किया जाये. किसानों के सवाल और नीलहे प्लांटरों पर लगे आरोप जायज हैं या नाजायज.
दरअसल गांधी रांची में चंपारण इन्क्वायरी कमेटी के सदस्य के रूप में मौजूद थे. अगले ही दिन तीन अक्तूबर को फाइनल जांच रिपोर्ट पर सभी सदस्यों को हस्ताक्षर कर देना था. वह बड़ा कशमकश का दौर था. हालांकि जांच कमेटी के सभी सदस्य इस बात से सहमत थे कि तिनकठिया प्रथा अमानवीय है और चंपारण के किसानों के हित में इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए.
मगर सरहबेसी जिसकी वसूली हो चुकी थी, कमेटी उसे किसानों को वापस किये जाने पर तैयार नहीं थी. दूसरी तरफ गांधी चाहते थे कि हर हाल में किसानों को सरहबेसी की रकम वापस हो. इस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए गांधी 22 सितंबर को ही रांची पहुंच गये थे और वे वहां चार अक्तूबर तक कुल बारह दिन तक रहे. यह रांची में उनका सबसे लंबा प्रवास था. हालांकि वे जांच कमेटी के सदस्य के रूप में सरकारी मेहमान थे, मगर जानकार बताते हैं कि वह अपने किसी परिचित वकील के घर में ही ठहरे थे.
इस बीच उन्होंने वहां से दो महत्वपूर्ण आलेख लिखे. पहला आलेख तीसरे दर्जे में रेल यात्रा के अपने अनुभवों और सिद्धांत के बारे में था और दूसरा आलेख ‘भारत साम्राज्य के अधीन रहते हुए स्वशासन क्यों चाहता है’ नामक एक पुस्तक की भूमिका के रूप में था. इस पुस्तक के लेखक नटेसन थे.
29 सितंबर को सरहबेसी की दर में कमी के लिए उनकी नील प्लांटरों के साथ लंबी बहस हुई. हालांकि वे अपनी बात मनवाने में बहुत हद तक कामयाब नहीं हो पाये और तीन अक्तूबर को आखिरकार उन्होंने जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिये. जिसे सरकार को सौंप दिया गया. पांच अक्तूबर को वे रांची से पटना आ गये.
हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि दो अक्तूबर के दिन गांधी जी ने क्या किया, कैसे इस दिन को बिताया. किनसे मुलाकात की, किनके साथ थे
मगर एक दिलचस्प जानकारी यह है कि रांची से हजारो मील दूर मद्रास(अब चेन्नई) में उनकी एक प्रशंसिका श्रीमती एनी बेसेंट उनके राजनीतिक गुरु के नाम पर बने गोखले हॉल में उनके एक चित्र का अनावरण कर रही थीं. गोखले दो वर्ष पहले उन्हें छोड़ गये थे. यह चित्र कैसा था, किसने बनाया यह नहीं मालूम और यह भी कि आज चेन्नई के गोखले हॉल में वह तस्वीर है या नहीं. मगर इतिहास की तारीख में यह घटना दर्ज है कि भारत में अपने पहले जनांदोलन में किसानों को हक दिलाने की कोशिश कर रहे गांधी के 48वें जन्मदिन के मौके पर चेन्नई में एनी बेसेंट उनके चित्र का अनावरण कर रही थीं.

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