पटना : जानें गंगा पाथ-वे निर्माण की तकनीक
नदी की अधिकतम कटाव सीमा से दोगुनी गहराई तक पाइलिंग पटना : ऊबड़ खाबड़ जमीन, गड्ढों और दलदलों से होकर गंगा पाथ-वे का निर्माण जितना चुनौतीपूर्ण हैं, उतनी ही बेहतर तकनीक का इस्तेमाल भी इसके लिए किया जा रहा है. धारा बदलने के कारण नदी अब पाथ-वे से एक-डेढ़ किमी तक दूर हो गयी है. […]
नदी की अधिकतम कटाव सीमा से दोगुनी गहराई तक पाइलिंग
पटना : ऊबड़ खाबड़ जमीन, गड्ढों और दलदलों से होकर गंगा पाथ-वे का निर्माण जितना चुनौतीपूर्ण हैं, उतनी ही बेहतर तकनीक का इस्तेमाल भी इसके लिए किया जा रहा है. धारा बदलने के कारण नदी अब पाथ-वे से एक-डेढ़ किमी तक दूर हो गयी है.
इसके बावजूद इसके निर्माण में उस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो नदी के ऊपर से गुजरने वाले पुलों के निर्माण में किया जाता है. इसके एलिवेटेड खंड के पिलरों के निर्माण के दौरान नदी की अधिकतम कटाव सीमा (30 मीटर से) भी दोगुनी गहराई तक पाइलिंग की जा रही है.
यह जमीन के भीतर 55 मीटर तक गयी है जो कि सामान्य फ्लाइ ओवर के निर्माण के दौरान की जाने वाली पाइलिंग 20 मीटर से लगभग तीन गुनी गहरी है. इसके पिलर की व्यास 1.9 मीटर है जबकि आम फ्लाई ओवर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली पिलर 1.2 मीटर व्यास की होती है.
20.5 किमी लंबे पाथ वे में 8.8 किमी की सड़क का निर्माण जमीन पर किया जाना है. इसकी चौडाई 40.5 मीटर होगी जिसमें 7.5-7.5 मीटर की दो दो लेन वाली अप और डाउन स्ट्रीट होगी. दोनों के बीच में एक मीटर का मेडियन और किनारे में दोनों ओर 5-5 मीटर का ग्रीन बेल्ट होगा, जिसमें पेड़-पौधे लगाये जायेंगे. गंगा की तरफ वाले छोड़ पर पांच मीटर का एक वॉक वे भी होगा, जिसका पैदल चलने वाले लोग इस्तेमाल करेंगे. एलिवेटेड सड़क की कुल लंबाई 11.7 किमी होगी. एलिवेटेड हिस्सा 21 मीटर चौड़ा होगा.
फ्लो प्रोटेक्शन बेहद चुनौतीपूर्ण
गंगा के दूर चले जाने के कारण सामान्य मौसम में इसके बहाव का पाथ वे पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन बरसात और बाढ़ के समय पानी का फैलाव बढ़ने के बाद गंगा की तेज धारा के दबाव को झेलना पाथ वे के लिए बेहद चुनाैतीपूर्ण होगा.
पाथ वे के जमीनी हिस्से को बचाने के लिए बाढ़ के समय नापे गये अधिकतम जलस्तर से दो मीटर की ऊंचाई तक बोल्डर पिकिंग किया जा रहा है. इसमें सड़क के दोनों स्लोप पर तार की जाली में बांध कर बोल्डर बिछा दिया जायेगा. बचे हिस्से में घास व वनस्पति लगा कर ग्रीन टर्फिंग की जायेगी.
छीलकर हटा दी 2 मीटर ऊपर की मिट्टी
गंगा में जल स्तर बढ़ने और बाढ़ आने की स्थिति में पाथ वे पर पानी चढ़ने से बचाने के लिए उसे सतह से आठ से 12 मीटर की ऊंचाई दी गयी है.
यह चार मंजिले मकान की ऊंचाई के बराबर है. पाथ वे के एलिवेटेड हिस्से को अपेक्षित ऊंचाई देना आसान है, लेकिन 42 फीसदी हिस्सा जिसे जमीन पर बनाना है उसका निर्माण चुनौतीपूर्ण है क्योंकि सामान्य रूप से इतने मोटे मिट्टी का जमावड़ा होने पर उसके धंसने की आशंका बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए इटालियन डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है.
उसमें निर्माण से पहले सतह से दो मीटर की गहराई तक की मिट्टी को निकाल दिया जाता है. उसकी जगह पहले मोटे बालू का एक लेयर डाला जाता है. उसके बाद जियो फैब्रिक का स्तर, फिर मोटे बालू का स्तर डाला जाता है. फिर स्वायल टेस्ट कर अपेक्षित भारवहन क्षमतावाली मिट्टी दूसरे जगह से लाकर डाली जाती है.