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NTPC की गलती से टूटी थी बटेश्वर स्थान नहर, मरम्मत का पूरा खर्च उठायेगा NTPC, हुआ करार

पटना : बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना में उद्घाटन के एक दिन पहले टूट का कारण एनटीपीसी की अवैध निर्माण की बात साबित हो गयी है. खुद एनटीपीसी ने इसकी गलती स्वीकार कर ली है. अब नये सिरे से नहर योजना की मरम्मत का खर्च एनटीपीसी उठायेगा. यह फैसला जल संसाधन विभाग और एनटीपीसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2017 8:20 AM
पटना : बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना में उद्घाटन के एक दिन पहले टूट का कारण एनटीपीसी की अवैध निर्माण की बात साबित हो गयी है. खुद एनटीपीसी ने इसकी गलती स्वीकार कर ली है. अब नये सिरे से नहर योजना की मरम्मत का खर्च एनटीपीसी उठायेगा. यह फैसला जल संसाधन विभाग और एनटीपीसी के अधिकारियों के संयुक्त निरीक्षण के बाद लिया गया है. इस बाबत जल संसाधन विभाग और एनटीपीसी के अधिकारियों के बीच करार हुआ है.
इस बारे में जल संसाधन विभाग के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि 28 सितंबर, 2017 को विभाग और एनटीपीसी की संयुक्त जांच टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. राज्य सरकार ने इस मामले में जो बातें उठायी थीं, वह सही साबित हुई हैं.
अब एनटीपीसी इसके पुनर्निर्माण का खर्च उठायेगा. भागलपुर अंचल के अधीक्षण अभियंता ज्ञान प्रकाश लाल के पंप नहर में बने हुए अंडरपास और नहर की मजबूती के लिए दिये गये सुझावों को एनटीपीसी ने स्वीकार कर लिया. इसके तहत अंडरपास के सीपेज को वाटरप्रुफ बनाया जायेगा. पूरे निर्माण कार्य का ब्योरा एनटीपीसी पहले जल संसाधन विभाग को उपलब्ध करायेगा. विभाग की सहमति के बाद एनटीपीसी निर्माण कार्य शुरू करेगा.
जांच में शामिल हुए थे ये अधिकारी
क्षतिग्रस्त पंप नहर के निरीक्षण में जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता ज्ञानप्रकाश लाल, कार्यपालक अभियंता योगेंद्र मालाकार, सहायक अभियंता जितेंद्र कुमार राम और मनीष कुमार तथा कनीय अभियंता रवींद्र कुमार सिंह शामिल हुए.
जबकि, एनटीपीसी की ओर से कार्यकारी निदेशक राकेश सैमुएल, अपर महाप्रबंधक एके झा, एजीएम अजय कुमार, मो इमरोज खान, जितेंद्र कुमार, सीनियर मैनेजर राजीव वर्मा और एसके मिश्रा, मैनेजर आरके मंडल और रूपेश कुमार शामिल हुए.
कितना हुआ खर्च
इस परियोजना पर 389.31 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. साल 1977 में इसे बनाने की स्वीकृति केंद्र सरकार ने दी थी. उस समय इसके लिए 13.88 रुपये खर्च होने का अनुमान था. साल 2008 में पहली बार इसका पुनरीक्षण किया गया और इसके लिए 389.31 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित हुआ.

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