नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी को व्हाइट करने के हथकंडे, 20 फर्जी कंपनियों में नामचीनों के निवेश के संकेत
पटना : नोटबंदी की घोषणा के बाद से ब्लैक मनी को व्हाइट करने के कई हथकंडे सामने आ रहे हैं. आयकर विभाग की जांच के दौरान हाल में 20 ऐसी शेल या फर्जी कंपनियों के नाम सामने आये हैं, जिनके जरिये भी ब्लैक मनी को व्हाइट करने का गोरखधंधा किया गया है. इन सभी कंपनियों […]
पटना : नोटबंदी की घोषणा के बाद से ब्लैक मनी को व्हाइट करने के कई हथकंडे सामने आ रहे हैं. आयकर विभाग की जांच के दौरान हाल में 20 ऐसी शेल या फर्जी कंपनियों के नाम सामने आये हैं, जिनके जरिये भी ब्लैक मनी को व्हाइट करने का गोरखधंधा किया गया है. इन सभी कंपनियों का मुख्यालय तो कोलकाता के पते पर है, लेकिन इनमें किये गये कारोबार के तार बिहार से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. अब तक की शुरुआती जांच में यह बात सामने आयी है कि इन कंपनियों में बिहार के कुछ नामचीन लोगों की ब्लैक मनी को व्हाइट किया गया है. इसमें राजनीतिक दल से लेकर व्यवसायी वर्ग तक के लोग शामिल हैं.
इसमें विधायक, पूर्व विधायक और कुछ अन्य बड़े नेता के नाम शामिल हैं. फिलहाल इनकी संख्या 7-8 के आसपास, लेकिन जांच पूरी होने पर यह बढ़ भी सकती है. हालांकि, इनके नाम फिलहाल जांच कारणों से सार्वजनिक नहीं किये जा रहे हैं. लेकिन, जल्द ही जांच पूरी होने पर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होने की संभवना है. इसकी तैयारी आयकर विभाग ने अपने स्तर पर शुरू कर दी है.
जिन लोगों के ब्लैक मनी इन कंपनियों में सफेद हुए हैं, उनके कुछ नजदीकी और रिश्तेदार भी इन कंपनियों में निदेशक मंडल में मौजूद हैं.
आयकर की जांच में खुलासा
आयकर की जांच में यह भी पता चला है कि कई कंपनियां फर्जी होने के साथ-साथ इनके नाम और पते भी पूरी तरह से फर्जी हैं. इन कंपनियों को कुछ सीए (चार्टटर्ड एकाउंटेंट) ही अपने स्तर पर संचालित कर रहे हैं.
20 में नौ कंपनियों के कर्ता-धरता सीए ही हैं. इन सीए पर भी आयकर और इडी ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करके पूछताछ शुरू कर दी है. इनसे पूछताछ में ही बिहार के नामचीनों के नाम सामने आये हैं. जिनके नाम सामने आये हैं, उनके सभी एकाउंट और इससे जुड़े ट्रांजैक्शन के ठोस सबूत एकत्र किये जा रहे हैं.
पांच फीसदी तक का कमीशन
जांच में यह बात सामने आयी है कि किसी एक शेल कंपनी में पांच-छह अन्य शेल कंपनियों से रूट करके पहले पैसे पहुंचाये गये. इसके बाद अंत में इन रुपये को उस व्यक्ति के एकाउंट में पहुंचाया गया, जिसके वास्तव में ये ब्लैक मनी थे.
इस पूरी रूटिंग के चक्र में हर स्टेज पर एक से पांच फीसदी तक का कमीशन संबंधित व्यक्ति को दे दिया जाता है. अगर कंपनी पूरी तरह से कागजी है, तो कमीशन के ये पैसे सीए या इसे ऑपरेट करने वाले व्यक्ति के पास चले जाते हैं. इन कंपनियों में शेयर प्रिमियम या कैश डिपॉजिट दोनों तरीके से ब्लैकमनी जमा करायी जाती है.