पटना: वर्ष 2016 के बहुचर्चित बिहार इंटर टाॅपर घोटाला में अभियुक्त बनाये गये बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह की जमानत याचिका पटना हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि ऐसे घोटालों से न केवल प्रतिभावान छात्रों का भविष्य प्रभावित होता है बल्कि इससे बिहार का नाम भी देशभर में बदनाम होता है.
न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की एकलपीठ ने लालकेश्वर प्रसाद सिंह की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि टाॅपर घोटाला में एक साजिश के तहत लालकेश्वर प्रसाद को फंसाया गया है. इस कांड में अभियुक्त बनाये गये पूर्व अध्यक्ष के पास से ऐसी कोई भी सामग्री बरामद नहीं हुई है जिससे कि उक्त घोटाला में उनकी संलिप्तता का पता चल सके. साथ ही साथ घोटाला में जो पैसे की लेन-देन की बात कही गयी है वह भी सरासर गलत है. पुलिस ने उनके घर से ऐसी कोई भी रकम बरामद नहीं कर पायी है.
अदालत को यह भी बताया गया कि बगैर ट्रायल के याचिकाकर्ता को एक साल से अधिक समय से जेल में बंद रखा गया है जो कि न्यायोचित नहीं है. वहीं राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता लालकेश्वर प्रसाद सिंह ही इंटर टाॅपर घोटाला के मुख्य साजिशकर्ता हैं. अदालत को बताया गया कि अनुसंधान के क्रम में यह बात सामने आयी है कि वैशाली स्थित विष्णुदेव राय काॅलेज के प्राचार्य अमित कुमार उर्फ बच्चा राय की मिलीभगत से ही यह घोटाला किया गया है. जांच के क्रम में बच्चा राय से पैसे के लेनदेन के पुख्ता सबूत मिले हैं.
अदालत को यह भी बताया गया कि अनुसंधान में इस बात का भी खुलासा हुआ है और गवाहों ने अपनी गवाही में इस बात का जिक्र किया है कि बच्चा राय से लालकेश्वर प्रसाद की मुलाकात और मोबाइल पर बराबर बात होते रहती थी और इन्हीं के द्वारा परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन केंद्र बदलवा कर राजेंद्र नगर बालक हाई स्कूल में कराया गया था.