बिहार : बाल विवाह का साइड इफेक्ट, कुपोषण के साथ बौनेपन ने पसारे पैर, 19 जिले संवेदनशील
अधिकतर जिले ऐसे, जहां बाल विवाह के भी मामले अधिक राजेश कुमार सिंह पटना : प्रदेश के 19 जिलों में कुपोषण के साथ ही बौनापन भी पैर पसार रहा है. बांका, जमुई, भागलपुर, सहरसा, सुपौल, बक्सर, मधुबनी, समस्तीपुर, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, लखीसराय, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली, मधेपुरा, पूर्णिया और गोपालगंज इसमें शामिल हैं. […]
अधिकतर जिले ऐसे, जहां बाल विवाह के भी मामले अधिक
राजेश कुमार सिंह
पटना : प्रदेश के 19 जिलों में कुपोषण के साथ ही बौनापन भी पैर पसार रहा है. बांका, जमुई, भागलपुर, सहरसा, सुपौल, बक्सर, मधुबनी, समस्तीपुर, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, लखीसराय, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली, मधेपुरा, पूर्णिया और गोपालगंज इसमें शामिल हैं. इनमें कई जिले ऐसे हैं, जहां बाल विवाह के मामले भी अधिक हैं. मतलब साफ है. कुपोषण और बौनापन का नाता बाल विवाह से भी है.
सरकार के खड़े हुए कान : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) -4 के आंकड़ों ने बिहार सरकार के कान खड़े कर दिये हैं. इस सर्वे के मुताबिक कुपोषण तो था ही, अब नयी समस्या के रूप में बौनापन ने बिहार में पैर पैसारे हैं. दुबला-पतला, कमजोर बच्चे तो हो ही रहे हैं, अब उम्र के हिसाब से उनकी लंबाई नहीं बढ़ रही. इसकी वजह कई हैं. कम उम्र में शादी, पर्याप्त पौष्टिक आहार नहीं मिल पाना आदि. इसके कारण मां कमजोर रहती है तो शिशु कैसे स्वस्थ होगा. ऐसी माताओं के शिशु बौनापन और कुपोषण की चपेट में हैं.
– नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, दुबला-पतला, कमजोर बच्चे तो हो ही रहे हैं, अब उम्र के हिसाब से उनकी लंबाई नहीं बढ़ रही
बाल विवाह- सुपौल सबसे आगे
एनएफएचएस-4 के आंकड़ों पर गौर करें तो बाल विवाह के मामले में सुपौल सबसे आगे है. यहां 56.9 प्रतिशत मामले सामने आये हैं. खास बात यह है कि सुपौल उन जिलों में भी शुमार है, जहां कुपोषण तो है ही, बौनापन के लिहाज से भी संवेदनशील है. इसके अलावा, जमुई, मधुबनी, समस्तीपुर, लखीसराय, सीतामढ़ी, वैशाली, मधेपुरा, सहरसा, पश्चिमी चंपारण आदि भी बाल विवाह के लिए मशहूर हैं. इन्हीं जिलों में बौनापन और कुपोषण की भी समस्या पैर पसार रही है.
संवेदनशील जिलों की 281 परियोजनाओं पर खास नजर
संवेदनशील 19 जिलों की 281 परियोजनाओं के 49251 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार की नजर है. इन केंद्रों पर विशेष इंतजाम किये जा रहे हैं. सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रत्येक माह के 19 तारीख को अन्नप्रासन (ऊपरी आहार) कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. 190 जिला संसाधन समूह, 2810 प्रखंड संसाधन समूह के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से परियोजनाओं का पुनर्गठन किया गया है.
‘ स्निप’ के माध्यम से सात साल का कार्यक्रम तय
सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर पूरा कार्यक्रम तय कर लिया है. ‘ स्निप’ के माध्यम से सात साल का खाका खींचा गया है. ‘ मिशन मालन्यूट्रिशन फ्री इंडिया ‘ के तहत भी काम हो रहा है. संवेदनशील 19 जिलों में स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से काम किया जा रहा है.
-आरपीएस दफ्तुआर, निदेशक, आइसीडीएस