अब नक्सलियों पर लगाम के लिए बनी नयी रणनीति
पटना : राज्य में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने और दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क को दुरुस्त करने के लिए व्यापक स्तर पर रणनीति तैयार की गयी है. दुर्गम क्षेत्रों में समुचित ऑपरेशन चलाने में मोबाइल कॉम्युनिकेशन सबसे कारगर माध्यम है. इसके तहत इन इलाकों में वैसे सभी स्थानों को चिह्नित कर लिया गया है, […]
पटना : राज्य में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने और दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क को दुरुस्त करने के लिए व्यापक स्तर पर रणनीति तैयार की गयी है. दुर्गम क्षेत्रों में समुचित ऑपरेशन चलाने में मोबाइल कॉम्युनिकेशन सबसे कारगर माध्यम है. इसके तहत इन इलाकों में वैसे सभी स्थानों को चिह्नित कर लिया गया है, जहां मोबाइल टावर लगाने की जरूरत है.
इन मोबाइल टावरों को स्थापित करने के लिए बीएसएनएल के साथ एक अहम बैठक भी हुई है और राज्य सरकार ने इन्हें टावर लगाने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने के लिए कहा है. इसे लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि अगर जहां जमीन नहीं मिल रही है, वहां सरकार अपनी जमीन मुफ्त में मुहैया कराने के लिए तैयार है. जहां-जहां जमीन नहीं मिल रही है, वहां की पूरी सूची राज्य सरकार को मुहैया करा देना है. नक्सल प्रभावित 18 जिलों में मोबाइल टावर लगाने के लिए 654 स्थानों को चिह्नित किया गया है. इसमें 12 जिलों में 318 स्थानों को बेहद जरूरी स्थान के तौर पर चिह्नित किया गया है. राज्य के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित छह जिलों औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर, कैमूर और नवादा में 336 स्थानों को अत्यंत जरूरी स्पॉट के रूप में चिह्नित किये गये हैं.
इन स्थानों पर मोबाइल टावर प्राथमिकता के आधार पर लगाये जायेंगे. ये वैसे स्थान हैं, जो सुरक्षा और पेट्रोलिंग की दृष्टकोण से बेहद उपयोगी हैं. इसमें दो जिलों कैमूर और जमुई में आइजी (अभियान) की मदद से स्पॉट को चिह्नित किया गया है, जहां टावर लगाने के लिए 47 बेहद महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान की गयी है, जो सुरक्षा कारणों से बेहद महत्व रखते हैं. इन स्थानों पर टावर लगाने से नक्सल ऑपरेशन में शामिल सुरक्षा बलों को काफी मदद मिलेगी. ये ऐसे दुर्गम स्थान हैं जहां सर्च या कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान मोबाइल नेटवर्क की समस्या का काफी सामना करना पड़ता है.