पटना : अधूरी प्लानिंग, फिर भी योजनाओं का शिलान्यास

अभी गिरता रहेगा गंगा में गंदा पानी पटना : नमामि गंगे योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जिन तीन योजनाओं का शिलान्यास कराया गया उसमें दो की प्लानिंग आधी-अधूरी है. राजधानी पटना में जल निकासी के लिए तैयार की जा रही योजनाओं में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की तीन प्रोजेक्टों का शिलान्यास कराया गया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2017 8:37 AM
अभी गिरता रहेगा गंगा में गंदा पानी
पटना : नमामि गंगे योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जिन तीन योजनाओं का शिलान्यास कराया गया उसमें दो की प्लानिंग आधी-अधूरी है. राजधानी पटना में जल निकासी के लिए तैयार की जा रही योजनाओं में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की तीन प्रोजेक्टों का शिलान्यास कराया गया.
जबकि सीवरेज नेटवर्क की सिर्फ एक योजना का ही शिलान्यास किया गया. इन दोनों के नेटवर्क की योजना है पर प्रधानमंत्री से एसटीपी के साथ सिर्फ एक योजना का शिलान्यास कराया गया. इसका परिणाम होगा कि सीवरेज नेटवर्क नहीं तैयार होने और उसका एसटीपी के साथ नहीं जुड़ने से घरों का गंदा पानी गंगा में गिरता रहेगा.
जल निकासी के लिए शहर को छह जोन में बांट कर सीवरेज नेटवर्क और एसटीपी का निर्माण कराया जाना है. नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री द्वारा बेऊर एसटीपी के साथ 179.74 किलोमीटर के बेऊर सीवरेज नेटवर्क की योजना का भी शिलान्यास किया गया. इसके अलावा सैदपुर एसटीपी और कर्मलीचक एसटीपी का भी शिलान्यास का कराया गया. अभी इन दोनों एसटीपी के साथ सीवरेज नेटवर्क का काम हुआ ही नहीं है. अभी तक सर्वेक्षण का कार्य ही चल रहा है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के प्रभार वाले मंत्रालयों में ये योजनाएं शामिल हैं.बिना पूरी तैयारी के प्रधानमंत्री के बिहार आगमन पर इसका शिलान्यास कराया गया.
टेंडर भी पूरा नहीं
बेऊर एसटीपी की क्षमता 43 एमएलडी जल निकासी की है, जिसके साथ 179.74 किलोमीटर का सीवरेज नेटवर्क शामिल है. सैदपुर एसटीपी की क्षमता 60 एमएलडी की है. इसको 177.45 किलोमीटर के नेटवर्क से जोड़ा जाना है.
प्रधानमंत्री से सिर्फ 55.10 किलोमीटर के सीवरेज नेटवर्क की योजना का शिलान्यास कराया गया. इसी तरह से कर्मलीचक एसटीपी की क्षमता 37 एमएलडी है जिसके लिए 96.54 किलोमीटर के सीवरेज नेटवर्क से जोड़ने का प्रस्ताव है. इस तरह से नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत आधी-अधूरी योजनाओं का ही शिलान्यास कराया गया. सीवरेज नेटवर्क के तैयार नहीं होने से शहर का पानी अपने पुराने रास्ते से गंगा में गिरता रहेगा. अधिसंख्य योजनाओं का टेंडर कार्य ही पूरा नहीं हो सका है.

Next Article

Exit mobile version