पटना : बिहार में लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून को और प्रभावी बनाने के मकसद से डेढ़ सालों में लोक शिकायत निवारण केंद्रों पर लोगों द्वारा दी गयी शिकायतों के निष्पादन में रुचि नहीं लेने वाले अथवा इसको लेकर आयाेजित सुनवाई में उपस्थित नहीं होने वाले राज्य सरकार के 118 पदाधिकारियों पर आर्थिक दंड लगाया गया है. इसके अलावा6 सीओ (अंचलाधिकारी) समेत 11 पदाधिकारियाें पर अनुशासनिक कार्रवाई का भी आदेश दिया गया है.
118 पदाधिकारियों में से हर एक पदाधिकारी पर औसतन तीन हजार का दंड लगा है. कुल तीन लाख 81 हजार का दंड लगा है. जिनपर कार्रवाई हुई है, उनमें प्रखंड, अनुमंडल से लेकर जिला स्तर के अधिकारी शामिल हैं. इन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा डीएम की ओर से संबंधित विभागों को की गयी है. दरअसल, इस कानून को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सख्त निर्देश है.जिसकेमुताबिक इसको लेकर कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में भी इस कानून के प्रावधानों के तहत पदाधिकारियों द्वारा कार्य नहीं किये जाने का मामला आने पर तत्काल कार्रवाई का अादेश सीएम ने दिया है.
सरकारद्वारा लोक शिकायत निवारण पदाधिकारियों द्वारा लोगों की शिकायतें दूर करने के जारी आदेश का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी समीक्षा हरपंद्रह दिन पर करने का आदेश डीएम को दिया गया है, ताकि अनुपालन सुनिश्चित हो. साथ ही इसमामलेमें जो लोग कोताही बरततेपाये जायेंगे, उन पर तत्काल कार्रवाई होगी.
सबसे अधिक शिकायतें गया में हुई हैं दर्ज
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम कानून के तहत लोक शिकायत निवारण केंद्रों में अब तक दो लाख 23 हजार 627 शिकायतें दर्ज हुई हैं. इनमें दो लाख दो हजार का निष्पादन कर दिया गया है. 19 हजार, 300 आवेदन लंबित हैं. सबसे अधिक शिकायतें गया में 12 हजार 724, पटना में 12 हजार 380 और सीतामढ़ी में 10 हजार 612 दर्ज हुईं है. गौरतलब है कि उक्त कानून 5 जून, 2016 को लागू हुआ था. इसके तहत लोगों को उनकी शिकायतें दूर करने का कानूनी अधिकार मिला है.
सर्वाधिक शिकायतें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से
– सर्वाधिक शिकायतें 53 हजार 152 राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से जुड़ी हैं.
– इसके बाद गृह और ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित शिकायतें अाईं हैं.