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बिहार : बोधगया बम ब्लास्ट में दिसंबर तक फैसला

एनआईए की ओर से 16 सितंबर से लगातार बहस पटना : बोधगया के महाबोधि मंदिर में बम ब्लास्ट मामले में बुधवार को भी एनआईए की विशेष अदालत में बहस हुई. 16 सितंबर से इस मामले में लगातार बहस हो रही है. एनआईए की ओर से बहस अंतिम दौर में है. दिसंबर तक इस मामले में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2017 7:28 AM
एनआईए की ओर से 16 सितंबर से लगातार बहस
पटना : बोधगया के महाबोधि मंदिर में बम ब्लास्ट मामले में बुधवार को भी एनआईए की विशेष अदालत में बहस हुई. 16 सितंबर से इस मामले में लगातार बहस हो रही है. एनआईए की ओर से बहस अंतिम दौर में है.
दिसंबर तक इस मामले में फैसला हो जाने की संभावना है. बुधवार को बहस के दौरान एनआईए के विशेष मुख्य अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचार के खिलाफ बदला लेने की भावना से मंदिर में विस्फोट किया गया था.
इसका खुलासा उमर सिद्दीकी व अजहरूद्दीन कुरैशी की स्वीकारोक्ति बयान से हुआ है. उनके बयान में स्पष्ट रूप से आया है कि बदले की भावना से बुद्ध धर्मावलंबियों के सबसे पवित्र धर्मस्थल बोधगया के मुख्य मंदिर में बम विस्फोट किया गया. उन्होंने बताया कि अभियुक्तों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत स्थान तय कर बम लगाया. अभियुक्तों ने घटना की साजिश छत्तीसगढ़ के रायपुर में तय की थी.
मामले के अन्य अभियुक्तों ने विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराने में मदद की. मामले का मुख्य आरोपित हैदर अली ने साजिश के तहत बौध भिक्षु बन कर मंदिर में प्रवेश किया व विस्फोट किया था. एनआईए द्वारा किये गये अनुसंधान में घटनास्थल से बरामद वस्त्र, विस्फोटक सामग्री तथा खून नमूने के डीएनए टेस्ट से हैदर अली के खून मेल करता है.
विचारण के दौरान उक्त साक्ष्यों को अभियोजन द्वारा विशेष रूप से संपुष्ट किया गया. उल्लेखनीय है कि इस मामले में हैदर अली, मुजीबुल्लाह, उमर सिद्दीकी, मो अजहरूद्दीन कुरैशी व जुबेनाइल एक्ट के तहत सजायाफ्ता अभियुक्त तौफिक अंसारी शामिल हैं. दूसरी ओर पटना के गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में एनआईए ने अब तक 187वें गवाह के रूप में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और पटना के तत्कालीन डीएम मनीष कुमार वर्मा की गवाही विशेष अदालत में हुई.
श्री वर्मा ने इस मामले में विचारण का सामना कर रहे अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का आदेश दिया था, जिसकी पहचान गवाही के दौरान अदालत में की गयी थी. गौरतलब है कि गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में कुल 10 अभियुक्त विचारण का सामना कर रहे हैं. मामले के त्वरित विचारण में एनआईए लगभग एक साल के अंदर 187 गवाहों की गवाही करा चुका है.

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