बिहार : सूबे में बदलाव, धीरे-धीरे हो रहा विकास : सुशील मोदी
पटना : आद्री के एक कार्यक्रम में बुधवार को वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिन्हा की पुस्तक ‘नीतीश इंजीनियरिंग रिकंस्ट्रक्टिंग बिहार’ पुस्तक का विमोचन करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार में बदलाव हो रहा है. यहां सड़क, प्रशासनिक ढांचा, बिजली सहित हर क्षेत्र में धीरे-धीरे विकास हो रहा है. वहीं प्रदेश […]
पटना : आद्री के एक कार्यक्रम में बुधवार को वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिन्हा की पुस्तक ‘नीतीश इंजीनियरिंग रिकंस्ट्रक्टिंग बिहार’ पुस्तक का विमोचन करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार में बदलाव हो रहा है.
यहां सड़क, प्रशासनिक ढांचा, बिजली सहित हर क्षेत्र में धीरे-धीरे विकास हो रहा है. वहीं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार के पहले सीएम डॉ श्रीकृष्ण सिंह को देश के पहले पीएम पं जवाहर लाल नेहरू पसंद नहीं करते थे. इसलिए आजादी के शुरुआती दिनों में यहां विकास नहीं हुआ. कार्यक्रम को आद्री सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने भी संबोधित किया.
इस दौरान सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आजादी के बाद साल 1964 तक डॉ श्रीकृष्ण सिंह की सरकार रही. इसके बाद साल 1990 तक राजनीतिक अस्थिरता रही. इस दौरान जितने मुख्यमंत्री बने उनका अधिकतम कार्यकाल डेढ़ साल का रहा. इसके बाद साल 1990 से 2005 तक राजनीतिक स्थिरता का दौर रहा, लेकिन सरकार की इच्छाशक्ति में कमी रहने के कारण विकास के मामले में राज्य पिछड़ गया.
साल 2005 के बाद राजनीतिक स्थिरता है और यहां सरकारी इच्छाशक्ति से धीरे-धीरे विकास हो रहा है. उपमुख्यमंत्री ने ‘नीतीश इंजीनियरिंग रिकंस्ट्रक्टिंग बिहार’ पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें इस बात का उल्लेख है कि राज्य में कैसे विकास हो रहा है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का जिक्र करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उन्होंने इसका कभी विरोध नहीं किया. बिहार में केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से विकास योजनाओं की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि कृषि का तीसरा रोडमैप बनकर तैयार है.
इसे लांच किया जायेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े उद्योग के लिए जमीन की कमी है. यहां कृषि आधारित मध्यम और लघु उद्योग की अपार संभावनाएं हैं. ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि विकास के मामले में देश के अन्य राज्यों से बिहार बहुत पीछे है.
यहां गंडक और कोसी नदी सिंचाई योजना अब भी अधूरी हैं. यहां साल में तीन फसल होती हैं. इसलिए यहां कृषि में अपार संभावनाएं हैं. प्रदेश में विकास के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और ईमानदारी आवश्यक है. कृषि के लिए बिजली देने की अलग व्यवस्था होनी चाहिए. इससे बिजली का बहुउद्देशीय उपयोग हो सकेगा.