भगवान चित्रगुप्त और भाई दूज की पूजा आज

कलम-दवात की पूजा. सार्वजनिक स्तर पर शहर में कई जगहों पर होंगे आयोजन पटना : धरती पर जन्म लेनेवाले प्राणियों के पाप व पुण्य का लेखा-जोखा रखनेवाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा आज होगी. कायस्थ समाज के लोग काफी श्रद्धा के साथ इस दिन भगवान के साथ कलम और दवात की पूजा करते हैं. शहर में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2017 5:21 AM

कलम-दवात की पूजा. सार्वजनिक स्तर पर शहर में कई जगहों पर होंगे आयोजन

पटना : धरती पर जन्म लेनेवाले प्राणियों के पाप व पुण्य का लेखा-जोखा रखनेवाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा आज होगी. कायस्थ समाज के लोग काफी श्रद्धा के साथ इस दिन भगवान के साथ कलम और दवात की पूजा करते हैं. शहर में कई जगह सार्वजनिक आयोजन होंगे, जहां कायस्थ समाज के लोग एक साथ बैठ कर पूजा-अर्चना करेंगे. आज चित्रगुप्त समाज की ओर से खगौल रोड अनिसाबाद में चित्रगुप्त पूजा होगी. सुबह नौ बजे कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे.
इसके बाद भाई भोज और फैंसी ड्रेस प्रतियाेगिता का आयोजन होगा. सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरस्कार वितरण शाम छह बजे आयोजित होगा. इसके साथ ही नासरीगंज स्थित मिथिला कॉलोनी में चित्रगुप्त सभा की ओर से भव्य पूजा का आयोजन किया जायेगा. वहीं चित्रांश कल्याण समिति की ओर से 12.30 बजे वृंदावन कॉलोनी वाल्मी,
फुलवारीशरीफ में पूजा होगी. इसके अलावा पटना सिटी के चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान की ओर से गिरिराज उत्सव पैलेस सहित दर्जनों जगहों पर पूजा होगी. कलम को अपना धर्म माननेवाले कायस्थ समाज के लिए चित्रगुप्त पूजा महत्वपूर्ण अवसर होता है. भैयादूज के दिन समाज के लोग कलम दवात की पूजा कर उसे चित्रगुप्त महाराज को अर्पित करते हैं और उस दिन कलम का उपयोग नहीं करते.
ब्रह्माजी की काया से उत्पन्न हुए थे चित्रगुप्त
चित्रगुप्त जी के संबंध में साहित्यकार शैलेंद्र सिन्हा बताते हैं कि ब्रह्मा जी की काया से उत्पत्ति होने की वजह से चित्रगुप्त को कायस्थ कहा जाता है. वह प्राणी समूह के शरीर में गुप्त भाव से व्याप्त हो कर शुभ व अशुभ कार्यों का निरीक्षण करते हैं और पाप व पुण्य का लेखा जोखा के आधार पर उनका न्याय करते हैं. कायस्थों की उत्पत्ति के संबंध में उन्होंने बताया कि ब्रह्मा सृष्टि के निर्माण के बाद 11 हजार वर्षों तक समाधि में लीन रहे. इस दौरान उनकी काया से श्याम वर्ण, कमल नयन, चार भुजाधारी, एक हाथ में असी, दूसरे में कालदंड, तीसरे में लेखनी और चौथे में दवात धारण किये पुरुष को ब्रह्मा ने चित्रगुप्त का नाम दिया था और उन्हें धर्मराज पूरी में जीवों के शुभ अशुभ कार्यों का लेखा जोखा रखने की जिम्मेवारी दी थी.

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