पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया लालू यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब खबर मिली है कि पटना हाइकोर्ट द्वारा पहले जवाब तलब किये जाने के बाद अब बिहार सरकार ने मिट्टी घोटाले की जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को सौंपने का फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में बिहार सरकार में पूर्व वन मंत्री और लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सरकार ने अब मिट्टी घोटाले की सभी बिंदुओं पर जांच का जिम्मा निगरानी को देने का फैसला कर लिया है. यह घोटाला उस वक्त हुआ था, जब तेज प्रताप यादव वन एवं पर्यावरण मंत्री थे. इस दौरान दानापुर के सगुना में बनने वाले बड़े मॉल की मिट्टी कोजैविकउद्यान को बेचने का आरोप लगा था. पूरे मामले पर भाजपा नेता सुशील मोदी ने लालू परिवार को आड़े हाथों लिया था. मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट मांगी थी. माना जा रहा है कि सरकार पटना हाइकोर्ट के कड़े रुख के बाद पूरे मामले की जांच निगरानी से कराने का फैसला लिया है.
मिट्टी घोटाले के बारे में अप्रैल में बीजेपी नेता सुशील मोदी ने लालू पर आरोप लगाते हुए इस संबंध में दस्तावेज भी पेश किये थे. दरअसल, पटना के सगुना मोड़ के पास एक शॉपिंग मॉल का निर्माण कराया जा रहा है. सुशील मोदी ने कहा था कि जमीन के मालिक जिस डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से हैं, उसके तीन डायरेक्टरों में लालू यादव के दोनों बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी के साथ बेटी चंदा यादव भी हैं. इस जमीन पर निर्माण का काम जिस कंपनी को दिया गया है उसके मालिक भी राष्ट्रीय जनता दल के एक विधायक अबू दोजना हैं. इस मॉल में अंडरग्राउंड दो लेवल की पार्किंग है और उससे निकली मिट्टी को पटना संजय गांधी जैविक उद्यान में लगाया गया. पटना चिड़ियाघर में मिट्टी का काम करीब 90 लाख का हुआ है. उस वक्त वन विभाग के मंत्री तेज प्रताप यादव थे.
मामले में वन विभाग ने सफाई देते हुए कहा था कि चिड़ियाघर में 95.75 लाख रुपये की लागत से एक सड़क का निर्माण किया जा रहा था, जिसमें मिट्टी काटने और उसके परिवहन और अनलोडिंग के लिए 44.92 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था. पिछले कई महीने से काम चल रहा था और अब पूरा हो चुका है. लेकिन विभाग अभी तक इस बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दे सकाथा कि इस काम के लिए कोई निविदा क्यों नहीं निकाली गयी थी. पटना चिड़ियाघर के निदेशक ने पुष्टि की है कि उन्होंने यह काम बिना किसी टेंडर के दिया, लेकिन उसके लिए उनका दावा है कि यह करने के लिए विभाग सक्षम है. इससे पूर्व, संजय गांधी जैविक उद्यान में मॉल की मिट्टी बेचने के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने सूबे के बहुचर्चित मिट्टी घोटाले में अब तक की गयी कार्रवाई की अपडेट जानकारी छह सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने मणिभूषण प्रताप सेंगर की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था.
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