48 घंटे में छात्रावास खाली करने का आदेश

एनएमसीएच : जूनियर छात्रों का फूटा गुस्सा, विरोध में धरना व प्रदर्शन पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नवनिर्मित छात्रावास में रहने वाले पांच दर्जन विद्यार्थियों को 48 घंटे में छात्रावास खाली करने का फरमान अस्पताल प्रशासन की ओर से जारी किया गया. आदेश से नाराज छात्रावास में रह रहे विद्यार्थियों ने रोष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2017 10:01 AM
एनएमसीएच : जूनियर छात्रों का फूटा गुस्सा, विरोध में धरना व प्रदर्शन
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नवनिर्मित छात्रावास में रहने वाले पांच दर्जन विद्यार्थियों को 48 घंटे में छात्रावास खाली करने का फरमान अस्पताल प्रशासन की ओर से जारी किया गया. आदेश से नाराज छात्रावास में रह रहे विद्यार्थियों ने रोष जताते हुए फैसले के खिलाफ अस्पताल परिसर में इमरजेंसी गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन में शामिल छात्रों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन पहले उनके रहने की व्यवस्था करे, इसके बाद वो छात्रावास खाली करेंगे. नहीं तो उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. बता दें कि अस्पताल प्रशासन की ओर सेजारी आदेश में कहा गया है कि नवनिर्मित भवन को अभी तक भवन निर्माण विभाग ने अस्पताल प्रशासन को नहीं सौंपा है, ऐसे में नव निर्मित छात्रावास को 48 घंटे के अंदर खाली करना होगा.
वहां अभी किसी को रहने की अनुमति नहीं
अस्पताल के अधीक्षक डॉ आनंद प्रसाद सिंह का कहना है कि छात्र जिसे छात्रावास बता रहे हैं, दरअसल वो भवन निर्माण की ओर से नर्सों के लिए फैमिली आवास है जिसे अस्पताल की जमीन पर बनाया गया है. इसमें अभी बिजली-पानी की सुविधा नहीं है. विभाग की ओर से अस्पताल प्रशासन को नवनिर्मित भवन नहीं सौंपा गया है. वहां अभी किसी को रहने की अनुमति नहीं है. खाली करने का आदेश भी भवन निर्माण को कार्य कराने के लिए दिया गया है.
नाराज विद्यार्थियों का कहना है कि नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने नवनिर्मित छात्रावास से जबरन बाहर निकाला, तो इसके खिलाफ आरंभ हुए आंदोलन के तहत छात्रावास से चौकी चूल्हा के साथ अस्पताल परिसर में ही आशियाना गिरा देंगे. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि छात्रावास में यूपी, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान व मणिपुर समेत देश के अन्य प्रांतों के छात्र हैं, उनके रहने की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं की गयी है और अचानक इस तरह का फरमान सुनाया जा रहा है, जो सरासर ज्यादती है. ऐसे में हम कहां जायेंगे. इसे ध्यान में नहीं रखा जा रहा है.

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