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10 वर्षों के प्रयास के बाद शुरू हुआ डोर-टू-डोर, छह माह में ही फेल

पटना : शहर की सफाई के लिए सबसे जरूरी डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की योजना फेल होने के मुहाने पर आ चुकी है. 10 वर्ष के लंबे प्रयास के बाद नगर निगम ने जिस योजना की शुरुआत की थी, वह छह माह में दम तोड़ने लगी है. नूतन राजधानी अंचल में काम कर रही दिल्ली की […]

पटना : शहर की सफाई के लिए सबसे जरूरी डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की योजना फेल होने के मुहाने पर आ चुकी है. 10 वर्ष के लंबे प्रयास के बाद नगर निगम ने जिस योजना की शुरुआत की थी, वह छह माह में दम तोड़ने लगी है. नूतन राजधानी अंचल में काम कर रही दिल्ली की कंपनी पाथ्या ने काम करना बंद कर दिया है. वहीं बांकीपुर व कंकड़बाग अंचल में काम कर रही निश्का एजेंसी भी काम नहीं कर रही है.
कंपनी प्रतिनिधियों का तर्क है कि जिस हिसाब से वार्ड में कचरा उठाव किया जाता है, उसके मुताबिक 10 फीसदी भी वसूली हाउस होल्डिंग से नहीं हो रही है. ऐसे में घाटे में चल रहा काम बंद करना पड़ रहा है. वहीं नगर निगम की ओर से नगर आयुक्त व मेयर ने 28 अक्तूबर तक कंपनियों को अल्टीमेटम दे रखा है. अगर इसके बाद काम ठीक से नहीं होता है, तो कंपनियों को हटा दिया जायेगा. ऐसे में कुल मिला कर अब 15 दिन के भीतर ही डोर-टू-डोर कचरा उठाव योजना अाधिकारिक रूप से बंद हो जायेगी.
संसाधन व पैसे लेकर भी फेल हो गयीं एजेंसियां : इस वर्ष अप्रैल माह में नगर विकास व आवास विभाग के मंत्री व मेयर की उपस्थिति में मिलर स्कूल के पास निगम के जल पर्षद कार्यालय में इस सेवा को शुरू किया गया. इसके बाद दावा किया गया कि तीन माह के भीतर वार्डों से हाउस होल्डिंग का कचरा उठाव शुरू कर दिया जायेगा, लेकिन दिनों दिन स्थिति सुधरने के बदले खराब होने लगी. दोनों कंपनियों को नगर निगम ने 155 ऑटो टीपर उपलब्ध कराया था. इसके अलावा तीन माह में निगम को तीन करोड़ रुपया भी देना था. बावजूद इसके पश्या व निश्का दोनों एजेंसियां हर घर से कचरा उठाव में फेल हो गयी हैं.
दस वर्ष पुरानी है योजना : नगर निगम को 2007-08 में जेएनआरयूएम के तहत 23 करोड़ रुपये मिले थे, जो बैंक में रखे-रखे ब्याज सहित बढ़ कर 41 करोड़ रुपये हो गये हैं. वर्ष 2010 में डोर-टू-डोर कचरा उठाव के लिए निगम ने ए-टू-जेड कंपनी को दिया. इसके बाद निगम ने इस राशि को 2015 से खर्च करना प्रारंभ किया.
अकेले नूतन राजधानी अंचल में हर घर से कचरा उठाव में 40 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च आता है, लेकिन घरों से चार लाख रुपये की वसूली भी नहीं हो पाती. इसको लेकर नगर निगम को 30 बार से अधिक पत्र लिखा गया है. लेकिन कुछ नहीं हुआ. ऐसे में काम करना बंद करना पड़ रहा है.
रंजन कुमार, पाथ्या एजेंसी
अक्तूबर माह तक कंपनी को अल्टीमेटम दिया गया है. फिर भी अगर हालात नहीं सुधरे, तो कंपनी को हटाने की कार्रवाई की जायेगी.
सीता साहू, मेयर

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