दहेज प्रथा व बाल विवाह: पुलिस प्रमुखों को मुख्य सचिव ने लिखा पत्र, सरकार ने सब पर कसा शिकंजा शादी से पहले लेनी होगी शपथ
पटना : बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ बिहार सरकार का अभियान रफ्तार पकड़ने लगा है. इन दोनों कुरीतियों के खिलाफ सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. नयी खबर यह है कि बाल विवाह या दहेज ले-देकर शादी/निकाह होने की जानकारी सामने आयी तो संबंधित पंडित/मौलवी के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. सरकार ने स्पष्ट […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
October 24, 2017 9:21 AM
पटना : बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ बिहार सरकार का अभियान रफ्तार पकड़ने लगा है. इन दोनों कुरीतियों के खिलाफ सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. नयी खबर यह है कि बाल विवाह या दहेज ले-देकर शादी/निकाह होने की जानकारी सामने आयी तो संबंधित पंडित/मौलवी के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. सरकार ने स्पष्ट किया है कि वर-वधू पक्ष जो स्व-घोषणा पत्र देगा, उसमें पंडित/मौलवी के भी हस्ताक्षर होंगे. इसलिये जरूरी है कि पंडित/मौलवी पहले यह जांच लें कि जो शादी/निकाह वह कराने जा रहे हैं, उसमें लड़का या लड़की नाबालिग तो नहीं हैं. किसी तरह का लेन-देन (दहेज) तो नहीं हुआ है.
गांधी जयंती के मौके पर दो अक्तूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ बिगुल फूंका था. प्रदेश व्यापी इस अभियान को सफल बनाने के लिये सरकार हर जतन कर रही है. आधा दर्जन से अधिक विभागों को सीधे तौर पर जोड़ा गया है.
13 दिसंबर तक निबटा लें दहेज हत्या और बाल विवाह के लंबित मामले दहेज प्रथा और बाल विवाह पर नकेल के लिये पुलिस विभाग पर राज्य सरकार दबाव बनाने लगी है. पुलिस के ढुलमुल रवैये के कारण दहेज प्रथा और बाल विवाह के काफी मामले अदालत में लंबित हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. सरकार के स्तर से जारी किये जा रहे नये फरमान पर भरोसा करें तो सरकार ने पुलिस विभाग को दो माह का वक्त दिया है. बाल विवाह और दहेज प्रथा के मामलों की छानबीन करके उन्हें जल्द अदालत में चार्जशीट जमा करने को कहा गया है. इसके लिये पुलिस कानूनी तौर पर हर हथकंडे अपनाने के लिये स्वतंत्र है. पर दो माह के अंदर संबंधित मामलों का निबटारा हो जाना चाहिए. 13 अक्तूबर से पुलिस की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. इस हिसाब से पुलिस के पास 13 दिसंबर तक का वक्त है.
घोषणापत्र पर पंडित और मौलवी को भी करना होगा हस्ताक्षर
खासतौर से इस मामले में पुलिस पर भी दबाव बनाया गया है. ग्राम स्तर तक जागरूकता अभियान से लेकर प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जा रहा है. किसी भी बाल विवाह और दहेज वाली शादियों के लिये जिम्मेदारी तय कर दी गयी है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे कोई बच नहीं पायेगा. सरकार ने यह व्यवस्था की है कि वर-वधू पक्ष स्वघोषणा पत्र देगा. उस पर स्पष्ट तौर पर लिखा होगा कि वर-वधू नाबालिग नहीं हैं. न ही किसी तरह का दहेज लिया-दिया गया है. इस पत्र पर वर-वधू पक्ष का हस्ताक्षर होगा. वर-वधू भी हस्ताक्षर करेंगे. मुखिया-सरपंच को भी जिम्मेदार बनाया गया है. इस पत्र पर इन दोनों जनप्रतिनिधियों को भी हस्ताक्षर करना होगा. अगर शहरी क्षेत्र है तो पार्षद-सभासद के हस्ताक्षर होंगे. शादी-ब्याह, निकाह कराने वाले पंडित और मौलवी के भी हस्ताक्षर होंगे. शादी कराने से पहले हस्ताक्षर करने वालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि शादी-निकाह में कोई गैरकानूनी काम नहीं हो रहा. न दहेज लिया गया है, न दिया गया है. वर-वधू नाबालिग नहीं हैं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो वर-वधू पक्ष के साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों, पंडित-मौलवी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी.
पुलिस विभाग को सरकार का अल्टीमेटम
सभी पुलिस प्रमुखों को मुख्य सचिव के स्तर से पत्र भेजा गया है. दो माह में दहेज प्रथा और बाल विवाह के मामलों के निपटाने के निर्देश दिये गये हैं. ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके. यह काम पुलिस विशेष अभियान चलाकर प्राथमिकता के तौर पर करेगी. इसके अलावा ग्राम पंचायत स्तर पर भी काम रफ्तार पकड़ चुका है. अगले दो साल में हर हाल में हम प्रदेश से दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म करने में कामयाब होंगे.
-डॉ एन विजय लक्ष्मी, प्रबंध निदेशक, महिला विकास निगम