वोट नहीं, पर लूटे गये पैसे

पटनाः पटना की लाइफ लाइन कहे जानेवाली बस व ऑटो सड़कों से गायब थे. लोकतंत्र के महापर्व ने उनकी रफ्तार पर ब्रेक लगा दी. ट्रेन से उतरने वाले अधिकांश यात्रियों ने प्लेटफॉर्म को ही आशियाना बना लिया. वहीं पर चादर बिछा कर सो गये, जबकि मीठापुर बस स्टैंड में यात्री बस संचालन का इंतजार कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2014 4:26 AM

पटनाः पटना की लाइफ लाइन कहे जानेवाली बस व ऑटो सड़कों से गायब थे. लोकतंत्र के महापर्व ने उनकी रफ्तार पर ब्रेक लगा दी. ट्रेन से उतरने वाले अधिकांश यात्रियों ने प्लेटफॉर्म को ही आशियाना बना लिया. वहीं पर चादर बिछा कर सो गये, जबकि मीठापुर बस स्टैंड में यात्री बस संचालन का इंतजार कर रहे थे.उधर, यात्री वाहनों के रोड पर से गायब रहने का लाभ रिक्शे और कुछ प्राइवेट वाहनवाले उठा रहे थे. यूं कहिये कि मजबूरी में वे यात्रियों को लूटने में लगे हुए थे.

जहां दिखी जगह, बिछा दी चादर : परिवार के साथ ट्रेन से उतरने के बाद यात्रियों की निगाह प्लेटफॉर्म पर साफ-सुथरी व एकांत जगह की तलाश कर रही थी. जहां पर जगह दिखी, वहां पर लोगों ने उसे पेपर से साफ करके चादर बिछा दी. उसके बाद पास रखे भोजन करने लगे, जबकि अकेले यात्रियों ने पैदल ही अपने निर्धारित स्थान पर जाने लगे.

वृद्ध व बीमार लोग स्टेशन परिसर में ही बैठ कर शाम छह बजे का इंतजार कर रहे थे. दानापुर निवासी हरिकेश कुमार का कहना है कि ट्रेन चार घंटे लेट थी, जिसके कारण वह स्टेशन परिसर पर फंस गये. अब 12 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 10 घंटे का इंतजार करना पड़ेगा. बख्तियारपुर निवासी अनुराग सिंह ने बताया कि परिवार के अलावा समान अधिक है. घर जाने के लिए ऑटो रिजर्व करना पड़ेगा. वहीं कुछ यात्री सिर पर बैग रख कर ही निकल पड़े.

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