पटना : 40 की उम्र के बाद महिलाएं जरूर कराएं अपनी मेमोग्राफी

आईजीआईएमएस के रीजनल कैंसर सेंटर द्वारा ब्रेस्ट कैंसर अपडेट कार्यक्रम में कई बातों पर चर्चा देश में हर 20 महिला पर एक को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा पटना : भारत में कैंसर के नये मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2014 में इनकी संख्या जहां 14.5 लाख थी उसे 2020 तक करीब 17.3 लाख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2017 5:42 AM
आईजीआईएमएस के रीजनल कैंसर सेंटर द्वारा ब्रेस्ट कैंसर अपडेट कार्यक्रम में कई बातों पर चर्चा
देश में हर 20 महिला पर एक को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
पटना : भारत में कैंसर के नये मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2014 में इनकी संख्या जहां 14.5 लाख थी उसे 2020 तक करीब 17.3 लाख हो जाने का अनुमान है.
2016 में स्तन कैंसर के नये मरीजों की संख्या लगभग 1.5 लाख है जो कि पूरे कैंसर का 10 प्रतिशत है. यह जानकारी रविवार को आईजीआईएमएस रीजनल कैंसर सेंटर के तत्वावधान में आयोजित ब्रेस्ट कैंसर अपडेट 2017 में दी गयी. कार्यक्रम का उद्घाटन आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ एनआर विश्वास, डीन डॉ एसके शाही, अधीक्षक डॉ पीके सिन्हा व आयोजन सचिव डॉ ऋचा माधवी ने की.
विश्व में हर आठ में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा : डॉ माधवी ने बताया कि पश्चिमी देशों में हर आठ में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा पाया गया है. भारत में हर 20 पर एक महिला में यह स्थिति देखी गयी है. उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग की वजह से प्रथम चरण में बीमारी का पता लगाया जा सकता है जिसे इलाज द्वारा ठीक किया जा सकता है.
इससे बचाव के लिए महिलाओं को 40 की उम्र के बाद साल-दो साल पर मेमोग्राफी अवश्य करानी चाहिए. निदेशक एनआर विश्वास ने बताया कि यह महिलाओं में सबसे कॉमन स्तन कैंसर है. उन्होंने बताया कि इसके इलाज की समुचित व्यवस्था आईजीआईएमएस, एम्स, महावीर कैंसर संस्थान व एक निजी अस्पताल में उपलब्ध है. इसके लिए मरीजों को अब बाहर जाने की जरूरत नहीं.कार्यक्रम में डॉ मनीष कुमार, डॉ विनीता त्रिवेदी, डॉ अविनाश पांडे और डॉ बीपी सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे.
ग्रोथ में हार्मोन का बहुत बड़ा रोल : आरएमएल हॉस्पिटल, लखनऊ से आये डॉ अजीत कुमार गांधी ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के ग्रोथ में हार्मोन का बहुत बड़ा रोल है. मासिक पहले आना और देर से बंद होना ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को बढ़ा देता है. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में दवाओं, सर्जरी या रेडियोथेरेपी के माध्यम से हार्माेन के प्रभाव को दबा कर ट्यूमर ग्रोथ को कम किया जा सकता या फैलने से रोका जा सकता है.
आईजीआईएमएस में साइकार्टि के हेड डॉ राजेश कुमार ने स्तन कैंसर में होने वाले मानसिक प्रभाव और इसके बचाव के बारे में जानकारी दी.
पटना : आने वाले वर्षों में डायबिटीज (मधुमेह) की जांच से लेकर इलाज की व्यवस्था जेनेटिक पद्धति से होगी. ब्लड की जगह जीन की जांच से ही पता लग जायेगा कि शरीर के किस हिस्से में डायबिटीज की अधिक संभावना है और उसके लिए किस दवा की आवश्यकता होगी. रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय सीएमइ के दूसरे व अंतिम दिन पटना के प्रसिद्ध इंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ संतोष कुमार सिंह ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने डायबिटीज का जीन के साथ कनेक्शन बताते हुए कहा कि आने वाले समय में जीन के हिसाब से ही डायबिटीज का इलाज संभव हो सकेगा.
स्किन पर भी पड़ता है असर
एनएमसीएच के डॉक्टर विकास शंकर ने डायबिटीज का स्किन पर असर समझाया. उन्होंने बताया कि इसके चलते स्किन की कई बीमारियां भी हो सकती है. कोलकाता
के डॉ शमित घोषाल ने शरीर के अंदर इंसुलिन रेजिस्टेंस पर प्रकाश डालते हुए इसके फायदे व नुकसान बताये. उन्होंनेकहा कि इसके चलते जहां हर्ट को सुरक्षा मिलती है, वहीं रेजिस्टेंट अधिक होने पर डायबिटीज की रफ्तार बढ़ती चली जाती है.
पीएमसीएच के डॉ पंकज हंस ने डायबिटीज में किडनी बीमारियों से बचाव पर चर्चा की तो कोलकाता के डॉ विनायक सिन्हा ने ग्लीप्टिंस नामक दवा के फायदे पर प्रकाश डाला. सीएमई में अपोलो हॉस्पीटल कोलकाता के डॉ जेजे मुखर्जी, समस्तीपुर के डॉ सुप्रीयो मुखर्जी, मुजफ्फरपुर के डॉ अमित कुमारदास ने भी चर्चा की.

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