पटना : बिहार में भूमिहार ब्राह्मणों की समस्या और उनके मुद्दों को सही मंच पर माकूल तरीके से उठाने के लिए भूमिहार एकता मंच का गठन कर, आरक्षण से लेकर सामाजिक मुद्दे को हवा देने वाले युवा नेता आशुतोष के नेतृत्व में पटना में एक महासम्मेलन होने जा रहा है. एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष ने मीडिया को बताया कि यह महासम्मेलन इतना बड़ा होगा कि छोटे-छोटे मुद्दों के नाम पर भूमिहारों को बांटने वाले और स्वयं मलाई खाने वाले लोगों की नींद उड़ जायेगी. भूमिहार एकता मंच के जरिये आरक्षण को नये नजरिये से देखने वाले और गुजरात के पाटीदार आंदोलन से भी बड़े आंदोलन खड़ा करने का सपना देखने वाले आशुतोष ने इसकी घोषणा कर दी है.
उन्होंने बताया कि फरवरी 2018 में श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में भूमिहार ब्राह्मणों का महासम्मेलन आयोजित किया जायेगा. इसमें बिहार के तीन प्रमुख प्रमंडलों में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों का दौरा राष्ट्रीय अध्यक्ष और एकता मंच के नेताओं द्वारा अगले महीने नवंबर से प्रस्तावित है. अाशुतोष कुमार ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हरेक दरवाजे व चौखट तक जाकर समाज के हरेक तबके में मंच के एकता के पुनीत संदेश को पहुंचाना अौर उन गरीब, पिछड़े और उपेक्षित समूहों के हक की लडाई को संबल देना.आशुतोष ने जोर देकर कहा कि अारक्षण की मांग को बुलंद करते हुए मंच के बैनर तले तीन प्रमुख शहरों, पटना, नवादा अौर गया में जिला सम्मेलनकाआयोजन हो चुका है.
उन्होंने कहा कि भूमिहारों को एक सूत्र में पिरोने के लिए इसी क्रम को जारी रखा जायेगा. इसक्रम में बिहार के विभिन्न जिले जिनमें जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, बक्सर, आरा अादि प्रमुख हैं.उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किये गये इस एलान को लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है. भूमिहार समाज के अंदर एक नयी उर्जा का संचार हुआ है. आशुतोष ने अपने मुद्दों को मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि हमारे समाज के परंपरागत अाय के श्रोत खत्म होते जा रहे हैं अौर अाजीविका के लिये महानगरों के तरफ भारी संख्या में पलायन हो रहा है अौर इस प्रकार की स्थिति के लिये कई दशकों से चली अा रही घोर राजनैतिक अौर सामाजिक उपेक्षा जिम्मेदार हैं.
आशुतोष ने अपनी मांगों को गिनाते हुए कहा कि हमारी प्रमुख मांग है कि सरकारी नौकरियों से लेकर शिक्षण संस्थानों तक हमारा अनुपात निश्चित किया जाये. वंचित अौर विपन्न परिवारों के उन्नयन के लिये सरकारी नीतियों का निर्माण हो, हम तब तक शांति से नहीं बैठेंगे जब तक हमारी यह वाजिब मांगे पुरी नहीं कर दी जाती. यह बहुत बड़ी विडंबना है कि जिस समाज ने समय समय पर देश अौर राज्य के उन्नयन के लिये हर कीमत चुकाया, उसे हाशिये पर ढ़केलने का षडयंत्र रचा जा रहा है. महासम्मेलन को लेकर तैयारियां जोरों पर है.