बिहार : तीन सौ लाभार्थियों का भी आंकड़ा नहीं हो रहा पार

उदासीनता : अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत राज्य सरकार देती है एक लाख रुपये पटना : दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ बिगुल फूंकने वाली बिहार सरकार के अभियान को अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना धार दे सकती है. लेकिन इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारी करनी होगी. अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना से सभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2017 5:31 AM
उदासीनता : अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत राज्य सरकार देती है एक लाख रुपये
पटना : दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ बिगुल फूंकने वाली बिहार सरकार के अभियान को अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना धार दे सकती है. लेकिन इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारी करनी होगी.
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना से सभी को रू-ब-रू कराना होगा. अब तक के जो आंकड़े हैं, वह संतोषजनक नहीं हैं. इस योजना के तहत लाभ पाने वालों की संख्या तीन सौ को भी नहीं छू सकी है. अगर अंतरजातीय विवाह होंगे तो दहेज प्रथा को खत्म करने में कामयाबी मिल सकती है. सरकार की मंशा भी यही है.
पिछले साल 266 को मिली प्रोत्साहन राशि : वैसे तो अंतरजातीय विवाह करने वालों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं, जो अनुदान राशि के लिए आवेदन नहीं करते हैं.
पिछले साल (2016-17) 266 वधुओं को प्रोत्साहन राशि मिली है. वर्ष 2015-16 में 253 तो वर्ष 2014-15 में 252 लोगों ने प्रोत्साहन योजना का लाभ लिया है. समाज कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में तीन करोड़ 84 लाख की राशि प्रदेश में आवंटित हुई थी. इसमें से खर्च मात्र एक करोड़ 76 लाख रुपये ही हुए. इसी तरह इस साल (2017-18) तीन करोड़ 86 लाख रुपये आवंटित हुए हैं. इसमें से खर्च मात्र 20.25 लाख ही अब तक हो पाया है. यह भी बता दें कि इस साल सात करोड़ रुपये का बजट है.
शिवहर और औरंगाबाद में तो खाता भी नहीं खुला है : शिवहर और औरंगाबाद में 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में अंतरजातीय प्रोत्साहन अनुदान राशि पाने वालों का आंकड़ा शून्य है. पटना की तस्वीर संतोषजनक है. यहां पिछले तीन सालों में क्रमश: 40, 49, 50 लोगों ने अनुदान राशि ली है. भागलपुर में वर्ष 2014-15 में 38 लोगों ने अनुदान राशि ली. 2015-16 में यह संख्या 16 और 2016-17 में 13 पर सिमट गयी.
महिलाओं को सबल बनाना है उद्देश्य
जाति प्रथा को समाप्त करने, दहेज प्रथा को हतोत्साहित करने और छुआछूत की भावना को खत्म करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत महिला को प्रोत्साहित करना है. अंतरजातीय विवाह करने वाली महिला को आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने के लिए विवाह संपन्न होने के तीन माह के भीतर संबंधित वधू के नाम अधिकतम लाभ देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा प्रमाणपत्र के माध्यम से एक लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. यह राशि तीन साल के बाद ही निकाली जा सकती है.
जाति बंधन तोड़कर ही विकास
जाति बंधन में बंधकर संपूर्ण विकास का सपना पूरा नहीं हो सकता. समाज के सारे लोग एक-दूसरे को गले लगाएं. इसका बेहतर तरीका अंतरजातीय विवाह है. इसलिए सरकार युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए योजना भी चला रही है.
– सुनील कुमार, निदेशक, समाज कल्याण

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