BIHAR पूर्ण शराबबंदी :सख्त हुआ कानून पर आसान हुई जमानत
शराब अधिनियम के तहत गिरफ्तार होने वाले अभियुक्त जेल से बाहर हाईकोर्ट की नरमी का असर : एक सप्ताह के भीतर नियमित जमानत पर अभियुक्त हो रहे रिहा पटना : सूबे में पूर्ण शराबबंदी कानून का सख्ती से अनुपालन किये जाने के बावजूद शराब के कारोबारियों और इसका सेवन करने वाले बाज नहीं आ रहे […]
शराब अधिनियम के तहत गिरफ्तार होने वाले अभियुक्त जेल से बाहर
हाईकोर्ट की नरमी का असर : एक सप्ताह के भीतर नियमित जमानत पर अभियुक्त हो रहे रिहा
पटना : सूबे में पूर्ण शराबबंदी कानून का सख्ती से अनुपालन किये जाने के बावजूद शराब के कारोबारियों और इसका सेवन करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं. इन पर लगाम लगाने के लिए पहले की अपेक्षा कानून में कई परिवर्तन कर इसे काफी सख्त बनाया गया. आये दिन शराब की बड़ी-बड़ी खेप बिहार में आ रही है, गिरफ्तारियों हो रही हैं.
कानून सख्त होने के बावजूद बिहार में शराबबंदी पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पा रही है. इसका एकमात्र कारण शराब के मामले में नियमित जमानत की प्रक्रिया को आसान बनाया जाना माना जा रहा है. हालांकि शराब अधिनियम के तहत अब भी अग्रिम जमानत नहीं दिया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक जहां अप्रैल 2017 में पूरे बिहार में शराब से संबंधित करीब 50 हजार मामले दर्ज किये गये, वहीं अक्तूबर के अंत तक इसमें बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है. यह आंकड़ा एक लाख पहुंचने को है. आंकड़े बताते हैं कि शराब से संबंधित मामलों में डेढ़ वर्ष के भीतर करीब 80 हजार प्राथमिकी सूबे के विभिन्न थाना में दर्ज किये गये हैं, वहीं करीब एक लाख गिरफ्तारी भी की गयी है.
पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी का आंकड़ा तो इससे कई गुना है. शुरू में तो शराबबंदी कानून का सख्ती से अनुपालन और इसमें जमानत में हो रही दिक्कतों के मद्देनजर शराबबंदी का असर देखने को मिल रहा था. परंतु अभी हाल ही में पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार की एकलपीठ ने शराब से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए यह निचली अदालतों को निर्देश दिया गया कि ऐसे मामलों में जेल में बंद और आत्मसमर्पण करने वाले अभियुक्तों को नियमित जमानत प्रदान की जाये. यदि निचली अदालत द्वारा नियमित जमानत से इन्कार किया जाता है तो फिर आदेश में उसके कारणों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा.
अभियुक्तों में 95 प्रतिशत नियमित जमानत हासिल कर आ रहे जेल से बाहर
शराब संबंधी मामलों में कोर्ट के जमानत संबंधी निर्देश के बाद पटना हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. रविरंजन की एकलपीठ द्वारा शराब से संबंधित मामलों में रिकॉर्ड जमानत प्रदान किया गया. वर्तमान समय में शराब अधिनियम के तहत गिरफ्तार होने वाले अभियुक्तों में 95 प्रतिशत नियमित जमानत हासिल कर जेल से बाहर नजर आ रहे हैं. पूर्व में जहां शराब अधिनियम के तहत गिरफ्तार लोगों को नियमित जमानत हेतु महीनों इंतजार करना पड़ रहा था. वहीं पटना हाईकोर्ट की नरमी के बाद ऐसे मामलों में एक सप्ताह के भीतर भी नियमित जमानत पर अभियुक्त रिहा कर दिये जा रहे हैं.
सजा कड़ी, कानून लचीला होने का पड़ रहा असर : शराबबंदी के पूर्णरूप से सफल नहीं हो सकने का एक दूसरा पहलू यह भी है कि शराब अधिनियम से संबंधित कानून तो सख्त है और सजा भी कड़ी है, लेकिन जमानत लेना बिल्कुल आसान हो गया है. शराबबंदी कानून के तहत 18 महीने में गिरफ्तार हुए 90,000 लोगों में से महज 3500 ही जेल में हैं. शराब पास रखने पर रखने वाले को और परिवार के किसी भी सदस्य को जिसे इसकी जानकारी हो, अवैध तरीके से परिवहन, आयात, निर्यात, निर्माण, रखने या बिक्री करने पर जेल होगी.
सजा की मियाद 10 साल से कम नहीं होगी जबकि इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. जुर्माना एक लाख रुपये से कम नहीं होगा जबकि इसे 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है. अगर शराब का सेवन, निर्माण बिक्री या वितरण या भंडारण किया जाता है. चाहे वह किसी भी भवन या मकान में हो. यह माना जाएगा कि 18 साल से अधिक आयु वाले सभी लोगों को इस संबंध में जानकारी थी, उन्हें निर्दोष साबित होने तक आरोपी माना जाएगा.
दो दिनों में 1309 छापेमारी
पटना. राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की तरफ से सभी जिलों को बड़े स्तर पर खुफिया सूचना उपलब्ध कराते हुए व्यापक पहल की गयी है. इसके मद्देनजर पिछले महज दो दिनों (31 अक्टूबर से 1 नवंबर तक) में पूरे राज्य में 1309 छापेमारी हुई. जबकि, इससे पहले के तीन दिनों में छापेमारी का औसत 931 ही था. इयूओ की विशेष पहल पर पूरे राज्य में विशेष छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें बड़ी मात्रा में अवैध शराब की खेप पकड़ी जा रही है.
शराब में मिलावट पर मृत्युदंड या उम्रकैद, साथ में 10 लाख रुपये तक जुर्माना
अगर किसी भी पदार्थ में शराब की मिलावट की जाती है. तो दोषी को मृत्युदंड या उम्रकैद के साथ या अलावा जुर्माना भी किया जा सकता है. जुर्माना 5 लाख से कम नहीं होगा, जिसे बढ़ाकर 10 लाख तक किया जा सकता है.
शराब की बिक्री करने पर10 साल की कैद, जिसे उम्रकैद और 10 लाख तक के जुर्माने में तब्दील किया जा सकता है. शराब पीने की सजा 5-10 साल के बीच होगी. जिसे उम्रकैद या फिर 10 लाख रुपये तक के जुर्माने में बदला जा सकता है.
पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के बाद जहां अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसी भी प्रकार के परिसर में शराब पाये जाने पर उसको जब्त करने का प्रावधान किया गया था. परंतु, इस पर भी पटना हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए सरकार से सवाल कर दिया था कि किसी परिसर में एक-दो बोतल शराब पाये जाने पर पूरे परिवार को सड़क पर खड़ा कर दिया जाना कहां का न्याय है. इसके बाद ऐसे मामलों में जब्त किये गये कई मकानों को भी मुक्त कर दिया गया.