25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अवेयरनेस: 29वें लघुकथा सम्मेलन का मृदुला सिन्हा ने किया उद्घाटन, बच्चों के कोर्स में शामिल हों लोककथा व लोकपर्व

पटना: गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि बच्चों के कोर्स की किताबों में लोक कथाओं और लोकपर्व को शामिल किया जाना चाहिए. यह रिश्तों की संवेदना, उसकी खूबसूरती और इतिहास सभी को समेटे हुए है. ये लोकगीत और उनमें छुपे उनके अर्थ अवेयरनेस का काम करते हैं. इतिहासकारों को भी पता करना चाहिए […]

पटना: गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि बच्चों के कोर्स की किताबों में लोक कथाओं और लोकपर्व को शामिल किया जाना चाहिए. यह रिश्तों की संवेदना, उसकी खूबसूरती और इतिहास सभी को समेटे हुए है. ये लोकगीत और उनमें छुपे उनके अर्थ अवेयरनेस का काम करते हैं. इतिहासकारों को भी पता करना चाहिए कि ये कितने पुराने हैं. वे अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के 29वें लघुकथा सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान बोल रहीं थी.
छठ अब अंतरराष्ट्रीय पर्व
उन्होंने कहा कि गांव में मैं अधिक नहीं रही लेकिन मेरे नस नस में लोक संस्कृति समायी हुई है. मुख्यमंत्री से मैंने अनुरोध किया कि है कि बच्चों के कोर्स में लोककथा, लोककला और लोक संस्कृतियों को शामिल किया जाये. उन्होंने कहा कि वे दिल्ली में जाकर छठ पूजा करती हैं. यह एक ऐसा पर्व है जो अब राष्ट्रीय ही नहीं वैश्विक हो चुका है.
नयी पीढ़ी ने परंपराओं व लोकसंस्कृति को आगे बढ़ाया
हमें कहीं से भी निराश होने की जरूरत नहीं है कि हमारी बाद की पीढ़ी हमारी परंपराओं और लोकसंस्कृति को नहीं अपनायेगी. छठ आज विदेशों में भी हो रहा है यह इसकी पहचान है कि हमारे लोग और हमारी आगे की जेनरेशन चाहे कहीं भी जाये अपनी संस्कृति को साथ ले जाती हैं और उन्हें कभी नहीं भूलते. मेरे भी बच्चे अमेरिका में रहते हैं लेकिन यहां की लोकोक्ती और कहावतें जो मैं बोला करती थी वह वहां भी बोलते हैं. इन लोकोक्ती और कहावतों में काफी ज्ञान है.
आज समय की मांग है लघु कथा
लघु कथा आज समय की मांग है. यह उपन्यासों की अपेक्षा कहीं से कमतर नहीं है. आज उपन्यास समय के अभाव में लोग कम पढ़ते हैं. लघु कथा छोटा है लेकिन गंभीर है. इसका महत्व काफी है. इस तरह के कार्यक्रम लघुकथा को जीवित रखने की कराये जाते हैं जो सराहनीय है. बिहार से जो भी चीज निकलती है विश्वभर में जाती है. उन्होंने बच्चों के द्वारा प्रस्तुत दो प्रस्तुतियों की काफी सराहना की.
अपनी प्रस्तुति के माध्यम से लोकसंस्कृति को किया जीवंत
अर्चना चौधरी के निर्देशन में दयानंद कन्या विद्यालय के छात्राओं ने एक के बाद एक लगातार लोकोक्ती पर आधारित नृत्य ‘सामा चकेवा’ और किलकारी के बच्चों के द्वारा प्रस्तुत लघु नाटिका ‘वर के मिले ना भूसा, बरियाती मांगे चूड़ा’ प्रस्तुत ने दर्शकों का मन मोह लिया. नाटक का निर्देशन रवि भूषण मुकुल ने किया. दूसरा नाटक भी उन्हीं के निर्देशन में ‘ अनकर चीज झमकौवा, छिन ले त मुंह भेल कौवा’ की प्रस्तुति की. इस मौके पर मंच का संचालन संगठन के महासचिव डॉ ध्रुव कुमार ने किया.
इस मौके पर साहित्यकार ममता मेहरोत्रा, तारानंद वियोगी, विधान पार्षद नवल किशोर यादव, मंच के अध्यक्ष डॉ सीतशराज पुष्करणा समेत कई विशिष्ट लोग, कलाकार व साहित्यकार मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें