बिहार : कागजों की पड़ताल, कानूनी सलाह के बाद ही प्लॉट व फ्लैट की करायें बुकिंग, नहीं तो….

धोखेबाज बिल्डर कानूनी दांव-पेंच में फंसा लूट लेंगे आपकी गाढ़ी कमायी विजय सिंह पटना : प्लॉट और फ्लैट खरीदने के सपने पालना तो ठीक है लेकिन खरीदारी खुली आंखों से ही करें तो बेहतर है. जीवन भर के कमाई को दूसरे के हाथों में सौंपने से पहले ठीक-ठीक पड़ताल कर लें कि जिस प्लॉट और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2017 7:08 AM
धोखेबाज बिल्डर कानूनी दांव-पेंच में फंसा लूट लेंगे आपकी गाढ़ी कमायी
विजय सिंह
पटना : प्लॉट और फ्लैट खरीदने के सपने पालना तो ठीक है लेकिन खरीदारी खुली आंखों से ही करें तो बेहतर है. जीवन भर के कमाई को दूसरे के हाथों में सौंपने से पहले ठीक-ठीक पड़ताल कर लें कि जिस प्लॉट और फ्लैट पर आम दाम लगा रहे हैं उसके कागजात ठीक हैं कि नहीं.
कानूनी सलाह बिना लिये अगर आप यह लाखों का सौदा करते हैं तो धोखेबाज बिल्डर कानूनी दांव-पेंच में फंसा कर थाने और कोर्ट का चक्कर लगावा सकते हैं. पटना में लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले साल पुलिस ने बिल्डरों के फर्जीवाड़े को लेकर बड़ा अभियान भी छेड़ा था, जिसमें बिल्डरों को बचाने में जुटे कई थानेदारों की थानेदारी भी गयी थी.
प्लॉट की खरीदारी से जुड़ी अहम बातें
1-जमीन का मालिकाना हक जमीन खरीदते समय सबसे पहले जमीन के मालिक के बारे में पता करना बेहद जरूरी है. यदि आप किसी बिल्डर के कॉलोनी में जमीन खरीद रहे हैं तो इस बात को कंफर्म कर लें कि जमीन की खरीद और बिक्री का अधिकार बिल्डर के पास है कि नहीं.
2-अधिकतर मामलों में बिल्डर या तो अपने नाम पर पूरी जमीन खरीद लेते हैं या फिर जमीन के मालिक के साथ जमीन के डेवलपमेंट और बिक्री के लिए संयुक्त एग्रीमेंट कर लेते हैं.
3-सुनश्चिति कर लें कि क्या बिल्डर ने इस प्रोजेक्ट के लिए लोन लिया है? अक्सर बिल्डर प्लॉट स्कीम के लिए बैंक से लोन लेते हैं. इससे पता चलता है कि बिल्डर इस प्रोजेक्ट को लेकर कितना संजीदा है. बैंक लोन देने से पहले कागजों की ठीक प्रकार से पड़ताल करते हैं. ऐसे में फ्रॉड की संभावना कम ही रहती हैं.
4-यदि कोई सेल्स पर्सन जल्द ही लैंड यूज चेंज होने के नाम पर प्लॉट बेचता है, तो सावधान रहें. क्योंकि यह काफी लंबी प्रक्रिया है और इसमें महीने नहीं बल्कि साल लग जाते हैं. सिर्फ जमीन खरीदने भर से आप उस पर मकान बनाने के अधिकारी नहीं बन जाते हैं. मकान कैसा होगा यह आपके प्लॉट की फ्लोर स्पेस इंडेक्स तय करती है.
5-प्लॉट 2000 स्क्वायर फीट का है, तो आप कितनी जमीन पर मकान बना सकते हैं. 100 फीसदी फ्लोर स्पेस इंडेक्स का मतलब है कि आप पूरी जमीन पर मकान बना सकते हैं. लेकिन यदि फ्लोर स्पेस इंडेक्स 75 फीसदी है तो आपके पास सिर्फ 1500 स्क्वायर फुट में मकान बनाने का अधिकार है.
6-आपने अक्सर एग्रीमेंट टू सेल का नाम सुना होगा. यह तब होता है जब आप 35 से 40% के शुरुआती भुगतान के साथ फ्लैट बुक कर देते हैं. इस समय आप रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टांप ड्यूटी का भुगतान कर देते हैं.
अधिकतर ग्राहक मानते हैं कि सिर्फ एग्रीमेंट टू सेल भर से ही वह प्लॉट उनके नाम हो गया है और वे कानूनी रूप से सुरक्षित हैं, तो वे गलत हैं. आप एग्रीमेंट टू सेल से जमीन के मालिक नहीं बनते, यह सिर्फ बायर और सेलर के बीच प्रारंभिक करार मात्र है.
7-कई राज्यों में भूमि अभिलेख 7/12 का प्रचलन है. इस अभिलेख में पिछले 20 वर्षों में जमीन के मालिकों का नाम दर्ज होते हैं. इसकी मदद से आप इस बात की पूरी ताकीद कर सकते हैं कि पिछले तीन दशक में जमीन का मालिकाना हक किस किस के पास रहा है. इससे आप यह भी पता कर सकते हैं कि सौदा वास्तविक है कि नहीं.
8-जिस प्रकार आप हाउसिंग सोसाइटी में एनुअल मेंटेनेंस चार्ज चुकाते हैं, उसी प्रकार बिल्डर भी प्लॉट की जमीन के मेंटेनेंस जैसे सिक्योरिटी, आधारभूत सुविधाओं, गार्डन, पानी आदि के लिए निर्धारित राशि चार्ज करते हैं, इसकी पड़ताल पहले ही कर लें, ऐसा न हो कि बाद में ये चार्ज आपको चौंका दें. सामान्‍यतया मेंटेनेंस चार्ज प्लॉट की साइज के आधार पर वार्षिक अंतरात पर वसूला जाता है.
9-जमीन समतल भूमि पर है या ढलान पर, पठारी भागों में जमीन ऊबड़खाबड़ या असमतल होना आम बात है. ऐसे में यह मान लेना सही नहीं है कि जमीन सिर्फ समतल जमीन पर होगी. अक्सर बिल्डर जमीने के बड़े टुकड़े खरीदते हैं, जहां जमीन के ऊंची नीची होने की संभावनाएं भी रहती है.
10- प्लॉट लेते वक्त यह पता कर लें कि यहां पर पानी की सप्लाई कौन करेगा. सीवेज का क्या इंतजाम है, यहां पानी म्युनिसिपिलटी से मिलेगा या पंचायत से, या फिर इसके लिए अलग इंतजाम है. बिजली की बात करें तो क्या सभी प्लॉट को इंडिविजुअल बिजली मीटर मिलेंगे. इसका चार्ज क्या होगा. यदि प्लॉट मेन रोड से दूर है, तो एक्सेस रोड कौन बनायेगा.
पटना में बिल्डरों के धोखाधड़ी के कई हैं किस्से
वर्ष 2016 में अनिल सिंह समेत कई बिल्डरों पर पुलिस ने कसा थ शिकंजा: वर्ष 2016 में पटना रेंज के तत्कालीन डीआइजी शालीन के निर्देश पर बिल्डरों के खिलाफ एक तरह से अभियान चलाया गया था.
फर्जीवाड़ा करने वाले बिल्डरों के खिलाफ प्राथमिकी, उनकी गिरफ्तारी, इश्तहार चस्पा कराने की लंबी प्रक्रिया चली थी. इसमें पाटलिपुत्रा, जक्कनपुर, कोतवाली, गांधी मैदान तथा पटना सिटी के कई थानों से आरोपित बिल्डरों को पुलिस ने जेल भेजा था. जिनके खिलाफ पहले से मामले दर्ज थे उनके अनुसंधान की प्रगति रिपाेर्ट मांगी गयी थी.
डीआइजी की सख्ती के बाद थानेदारों ने कार्रवाई तेज कर दी थी. इसमें सबसे चर्चित मामला बिल्डर अनिल सिंह का रहा. उनके खिलाफ कोतवाली और गांधी मैदान में केस तो दर्ज था लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही थी. इसके बाद अनिल सिंह के खिलाफ वारंट इश्यू हुआ, उनके आवास पर इश्तेहार चस्पा किया गया. एग्जीबिशन रोड में उनके होटल व आवास में कुर्की भी गयी.
बुद्धा काॅलाेनी इलाके फ्लैट खरीद की धोखाधड़ी में दंपत्ति ने खा लिया था जहर: बुद्धा कॉलोनी थाना क्षेत्र के एसकेनगर में रहने वाले एक दंपति ने फ्लैट की बुकिंग करायी थी लेकिन उन्हें तीन सालों तक फ्लैट नहीं मिल सका.
जिस फ्लैट की बुकिंग की गयी थी वह फ्लैट बिल्डर ने उन्हें देने से मना कर दिया था. दंपति ने बैंक से लोन ले लिया था और लगातार बैंक का लोन देकर वह कर्ज के तले दब चुके थे. इसके बाद दोनों जहर पी लिया था. इसमें पत्ति की मौत हाे गयी थी. पुलिस ने इस मामले में बिल्डर के खिलाफ केस दर्ज किया था.
फ्लैट नहीं मिलने पर एसकेनगर थाने में दर्ज कराया
था मामला: एक कारोबारी ने एक बिल्डर से फ्लैट बुक कराया था. चेक और ई-ट्रांजेक्शन से पैसा चुकता करने के बाद भी उसेफ्लैट नहीं मिल पा रहा था. बाद में बिल्डर उसे पैसा लौटाने केबजाय धमकी देने लगा. इस पर व्यवसायी ने एसकेपुरी थाने में केस दर्ज कराया. कोर्ट से वारंट जारी हुआ. तब जाकर बिल्डर की गिरफ्तारी हुई. कोर्ट में पेशी के दौरान पैसा लौटाने पर उसे जमानत मिली. पटना में ऐसे तमाम मामले हैं जिसमें बिल्डरों के धोखे में खरीदार फंस चुके हैं.
परिवार के तीन सदस्य चला रहे थे फर्जीवाड़े की दुकान: फर्जी
तरीके से जमीन को बेचने में फर्जीवाड़ा करने और लोगों से पैसा लेकर गलत जमीन रजिस्ट्री करने के मामले में पुलिस ने 17 सितंबर 2017 को एक गिरोह का भंडाफोड़ किया. इस दौरान एक जालसाज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. वहीं उसके पिता और चाचा की तलाश क जा रही थी. इस ठगी में एक ही परिवार के तीन लोग
शामिल थे, जिनका काम लोगों से पैसा लेकर फर्जी रजिस्ट्री करना था. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस गिरोह के सदस्यों ने पटना के जाने- माने डॉक्टर की जमीन भी गलत तरीके से रजिस्ट्री कर दी थी.
पुलिस के हत्थे चढ़ा कोइलवर थाना क्षेत्र के वीरमपुर कृतपुरा गांव निवासी मल्लिकार्जुन चौधरी ने पुलिस को बताया कि उसके पिता ललित नारायण चौधरी और उसके चाचा हरित नारायण चौधरी भी इस धंधे में शामिल हैं.

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