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बिहार : निजी क्षेत्र में भी लागू होना चाहिए आरक्षण : नीतीश कुमार

लोक संवाद के बाद बोले मुख्यमंत्री ऑउटसोर्सिंग की आड़ में वंचित वर्गों को आरक्षण से नहीं रखा जा सकता महरूम पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऑउटसोर्सिंग वाली नौकरियों में आरक्षण को संवैधानिक व्यवस्था बताते हुए कहा कि ऑउटसोर्सिंग की आड़ में वंचित वर्गों को आरक्षण से महरूम नहीं रखा जा सकता है. इसे ठीक […]

लोक संवाद के बाद बोले मुख्यमंत्री
ऑउटसोर्सिंग की आड़ में वंचित वर्गों को आरक्षण से नहीं रखा जा सकता महरूम
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऑउटसोर्सिंग वाली नौकरियों में आरक्षण को संवैधानिक व्यवस्था बताते हुए कहा कि ऑउटसोर्सिंग की आड़ में वंचित वर्गों को आरक्षण से महरूम नहीं रखा जा सकता है.
इसे ठीक से समझने की जरूरत है. जो इस व्यवस्था को अच्छे से नहीं समझ रहे हैं, वही इसका विरोध कर रहे हैं. इस संवैधानिक व्यवस्था से न तो किसी को नुकसान है और न ही किसी की हकमारी होती है. सोमवार को लोक संवाद के बाद प्रेस काॅन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से उनकी निजी राय है.
इसके लिए के संसद स्तर पर निर्णय लेने की जरूरत है. अगर संसद के स्तर से निर्णय ले लिया जायेगा तो निजी क्षेत्र में आरक्षण पूरी तरह से लागू हो जायेगा. नीतीश कुमार ने कहा कि किसी भी तरह के कॉन्ट्रैक्ट या ऑउटसोर्सिंग के स्तर पर होने वाली सभी स्तर की बहाली में सरकारी खजाने से वेतन का भुगतान किया जाता है.
इस तरह की किसी भी व्यवस्था में आरक्षण नियमों का पालन करना ही होगा, क्योंकि संविधान के नियमों के अनुसार जिस वेतन मद में सरकारी राशि खर्च होगी, उसमें हर हाल में आरक्षण नीति को लागू करना ही होगा. ऑउसोर्सिंग या कॉन्ट्रैक्ट की किसी तरह की नौकरी में कर्मियों को वेतन सरकारी कोष से ही दिया जाता है. ऐसे में आरक्षण व्यवस्था को लागू करना स्वाभाविक है.
राजगीर में बने समाधि तो सौभाग्य की बात
मुख्यमंत्री ने राजगीर में उनकी समाधि बनने के लालू प्रसाद के बयान पर कहा कि राजगीर ऐतिहासिक और पौराणिक स्थान है. यह मगध साम्राज्य की राजधानी रहा है. ऐसे स्थान पर अगर मेरी समाधि बन जाती है तो यह सौभाग्य की बात है. इससे अच्छा क्या हो सकता है. उन्होंने कहा, जब बच्चा था, होश भी नहीं था, उसी समय से राजगीर जाता हूं. मां की गोद में पावापुरी जाता था. उसी समय से दीपावली के मौके पर लड्डू चढ़ाने की परंपरा है.
21 जनवरी को पिछली बार से बड़ी बनेगी मानव शृंखला
सीएम ने कहा कि 21 जनवरी को पिछली बार से बड़ी मानव शृंखला बनेगी. उन्होंने कहा कि जब शराबबंदी के पक्ष में हमारे पुराने पार्टनर नहीं थे, तो 21 जनवरी को हाथ में हाथ डाल कर क्यों खड़े हुए थे?
जो कहते हैं कि मेरा कैरियर खत्म, वे मिठाइयां बांटें
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल कई लोग मेरे बारे में यह कह रहे हैं कि यह तो गया, इसका तो कैरियर खत्म. जो लोग ऐसा सोचते हैं, वे मिठाइयां बांटें. उन्होंने कहा कि यह वही गठबंधन है, जो चार साल पहले था.
जिस तरह से पहले सरकार चल रही थी, उसे चलाना मुश्किल हो गया था. बालू और अवैध शराब माफिया तेजी से उभर रहे थे. नीचे के स्तर तक पैरवी हो रही थी. ऐसे में रूल ऑफ लॉ को बनाये रखने में काफी परेशानी आ रही थी. बिहार के हित में इस गठबंधन को तोड़ना ही श्रेष्ठ था. बिहार की सेवा ही देश की सेवा है. जनता जब तक चाहेगी, तब तक सेवा करेंगे.
प्रशासन ने ही उजागर किये घोटाले, सरकार करवा रही जांच
राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाले और पटना के शौचालय घोटाले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी घोटाले को प्रशासन ने ही उजागर किया है.
सृजन घोटाले को मैंने उजागर किया है. सरकारी तंत्र में कोई भ्रष्टाचार करता है तो उसे कटघरे में खड़ा करना हमारा काम है. प्रशासन के स्तर पर सभी घोटाले उजागर हुए और इनकी जांच सरकार करवा रही है. किसी ‘भ्रष्टाचार के पुरोधा’ ने इन्हें नहीं उजागर किया है. ऐसे में इस कदम के लिए प्रशंसा मिलनी चाहिए. उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी का समर्थन करते हुए कहा कि जिनके काले धन पर चोट हुआ, उन्हें तकलीफ हो रही है.
बिजली के सभी खंभों पर पुलिस हेल्पलाइन नंबर
सीएम ने कहा कि सभी बिजली खंभाें व ट्रांसफॉर्मरों पर पुलिस हेल्पलाइन नंबर की तख्ती टांगी जायेगी. इस नंबर का प्रचार-प्रसार बड़े स्तर पर किया जायेगा. इसके लिए संबंधित विभाग को जल्द ही पहल शुरू करने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि इस नंबर के प्रचार-प्रसार से आम लोगों को काफी सुविधा होगी.
लालू को धरती पर कोई नहीं समझा सकता
विरोधियों दलों खासकर राजद की ओर से किये जा रहे हमलों को नजरअंदाज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 1974 के पहले से राजनीति में हूं. लेकिन आज तक का रिकॉर्ड है कि मैंने किसी को ओछी या घटिया बात नहीं कही. मेरे लिए यह संभव नहीं है. अगर कोई बोलता है तो उन्हें यह मुबारक हो. ऐसे में कौन क्या बोलता है, यह पूरी तरह से अप्रासंगिक है.
लालू प्रसाद को समझाने संबंधी सवाल पर उन्होंने बिना नाम लिये कहा कि इस धरती पर ऐसा कोई नहीं है, जो उन्हें समझा सके. मजाकिया लहजे में कहा, बड़े भाई हैं. कुछ भी बोलते हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. आजकल लोग क्या-क्या नहीं बोल रहे हैं. यह मानसिक परेशानी और विक्षिप्तता की निशानी है. इतने घटिया स्तर की बात मैं नहीं कर सकता. जिसका जैसा स्तर है, वह वैसी बात करेगा.

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