बिहार : अस्पतालों में ऑन डिमांड बच्चा चोर गिरोह सक्रिय, सुरक्षित नहीं सरकारी अस्पताल
निशाने पर मासूम : सुरक्षित नहीं सरकारी अस्पताल पटना : बच्चा चोरी की घटना केवल एनएमसीएच तक ही सीमित नहीं है. पीएमसीएच से लेकर शहर के लगभग हर सरकारी अस्पतालों में बच्चा चोर गिरोह सक्रिय हैं. ज्यादातर मामलों में सूनी गोद को भरने के लिए इन बच्चों की चोरी होती है. एक प्रकार से इस […]
निशाने पर मासूम : सुरक्षित नहीं सरकारी अस्पताल
पटना : बच्चा चोरी की घटना केवल एनएमसीएच तक ही सीमित नहीं है. पीएमसीएच से लेकर शहर के लगभग हर सरकारी अस्पतालों में बच्चा चोर गिरोह सक्रिय हैं. ज्यादातर मामलों में सूनी गोद को भरने के लिए इन बच्चों की चोरी होती है. एक प्रकार से इस तरह बच्चों की चोरी ऑन डिमांड होती है.
पिछले डेढ़-दो वर्षों में शहरी अस्पतालों से बच्चा चोरी के करीब आधा दर्जन मामले सामने आ चुके हैं. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा. प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पताल में बच्चा चोरी होने की घटना ने सुरक्षा इंतजाम पर सवाल खड़े कर दिये हैं. जबकि, सुरक्षा कर्मचारियों के साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी हैं.
चोरी हुए बच्चों की होती है खरीद बिक्री : अस्पताल से चोरी किये गये बच्चे की खरीद-बिक्री होती है. दरअसल, बच्चा चोरी करनेवाले कुछ गिरोह सक्रिय हैं. इसमें दलाल व एजेंट से लेकर अस्पताल कर्मी खासकर कुछ प्राइवेट अस्पतालों तक शामिल हैं. शातिरों की नजर नवजात पर होती है, जिसकी कीमत एक लाख या उससे अधिक होती है. इसमें अहम पहलू यह है कि गिरोह के सॉफ्ट टारगेट पर गरीब मां होती है. वहीं, बच्चों के खरीदारों में रईस परिवार भी शामिल होते हैं.
आईवीएफ सेंटरों के पास गैंग सक्रिय : नि:संतान दंपति को बच्चा मुहैया करानेवाला गैंग पटना में चल रहे आईवीएफ सेंटरों के आसपास सक्रिय हैं. ये गिरोह तीन तरीके से नि:संतान लोगों की सूनी गोद भरते हैं. चोरी का बच्चा बेच कर, एग डोनेट कर और अपनी कोख को उधार देकर.
अभी हाल ही में इस तरह का एक मामला आईवीएफ सेंटर में आया था, जहां एक चर्च में फादर एग डोनेट कर आईवीएफ सेंटर को देता था, जिससे डॉक्टर बच्चे पैदा करने का दावा करते थे. यहां अक्सर वही लोग आते हैं, जो नि:संतान होते हैं या प्रेग्नेंसी में कुछ परेशानी होती है. गिरोह के लोग ऐसे लोगों से संपर्क कर उन्हें बच्चे देने और मां की कोख तक का बंदोबस्त कराते हैं. बदले में वह मोटी रकम वसूलते हैं. इस तरह का मामला प्रकाश में आ चुका है. इसके पीछे एक कारण अस्पतालों में बेरोक-टोक आवाजाही भी है.
डेढ़ से ढाई साल का बच्चा करते हैं चोरी : पकड़े गये बच्चा चोरों से पूछताछ के बाद पुलिस भी खुलासा कर चुकी है कि बच्चा चोर गिरोह ऑन डिमांड बच्चा चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं. ताकि, ज्यादा दिन बच्चा अपने पास न रखना पड़े. इस तरह के धंधे से जुड़े लोग ज्यादातर डेढ़ से ढाई साल के बच्चे को चुराते हैं. इतनी उम्र के बच्चे इनके लिए सॉफ्ट टारगेट होते हैं.
इतने छोटे बच्चे किसी को कुछ बता नहीं सकते. उन्हें रखना मुश्किल भी नहीं होता. दूसरी बड़ी बात नि:संतान दंपति भी इसी उम्र के बच्चों की डिमांड करते हैं.
अस्पतालों में बच्चा चोरी एक नजर में
-11 नवंबर, 2017 : एनएमसीएच के स्त्री व प्रसूति वार्ड में मरचा मरची की रहनेवाली सरोज देवी का बच्चा चोरी हो गया. चोरी के बाद अब तक चोर को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
-16 सितंबर, 2017: नालंदा जिले के बिगहा पोस्ट के ग्राम बरसाई की रहनेवाली सोहनी देवी का पीएमसीएच में पांच दिन का बच्चा चोरी हुआ. हालांकि, गार्ड ने चोर को पकड़ लिया.
-23 मार्च, 2017: पीएमसीएच में सीतामढ़ी से इलाज कराने आयी रानी देवी का छह साल का बच्चा चोरी हो गया. यह घटना दिनदहाड़े दोपहर हथुआ वार्ड में हुई. इसमें महिला चोर शामिल थी, जिसे पकड़ने के बाद मामला उजागर हुआ.
-31 मार्च, 2015 : पीएमसीएच के स्त्री व प्रसूति वार्ड में 30 साल की मीरा देवी के नवजात बच्चे को एक महिला ने चुरा लिया था. हालांकि, महिला को तीन दिन बाद पकड़ लिया गया
-मई 2016 : गर्दनीबाग में इलाज कराने आयी बिहटा की एक महिला की दो साल की बेटी चोरी हो गयी. हालांकि, चोरी के दो दिन बाद चोर को गिरफ्तार कर लिया गया.
एक नजर यहां भी
– अजनबी पुरुष और महिला कैसे वार्ड के अंदर पहुंच जाते हैं.
– तैनात गार्ड सतर्क थे, तो आरोपित ने कैसे की नवजात को चोरी करने की कोशिश
– चोरी की घटनाएं होने के बाद भी क्यों नहीं होती है कार्रवाई
– सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाये जा रहे.
पीएमसीएच में बच्चा चोरी की घटना नहीं हो, इसके लिए डॉक्टर व पुलिस विभाग को अलर्ट किया गया है. इस पर पैनी नजर बनी रहे, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे की नजर में मासूम बच्चे व खासकर गर्भवती व महिला मरीज को रखा गया हैं.