पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत कम बोलते हैं, लेकिन जब बोलते हैं, तो वह सारे मुद्दों पर सटीक जवाब देते हैं. नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में गत सप्ताह उठे सारे मसलों पर एक साथ जवाब दिया है. उन्होंने गुजरात चुनाव, राजद सुप्रीमो लालू यादव और बागी नेता शरद यादव के अलावा आउट सोर्सिंग में आरक्षण पर मीडिया को जवाब दिया है. नीतीश कुमार ने एक-एक बिंदुओं पर अपना स्पष्ट मंतव्य दिया है. आइए जानते हैं, वैसी 20 बड़ी बातें, जिसके बारे में नीतीश कुमार ने बोला है.
– मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे विश्वास के साथ कहा है कि उनकी समझ से गुजरात चुनाव में भाजपा के लिए कोई खतरा नहीं है.
– मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गुजरात में भाजपा को सफलता मिलेगी जिस राज्य के प्रधानमंत्री हों, वहां के लोगों की भावना को समझिए.
– नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान आक्रमक दिखने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें वे लंबे समय से देख रहे हैं. उनकी समझ से यह कोई नयी बात नहीं है.
– देश में सभी प्रकार के चुनाव एक साथ होने को लेकर पूछे गये एक प्रश्न पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश ने कहा, मैं इससे सहमत हूं. वर्ष 1967 तक तो चुनाव एक साथ हो रहे थे. 1967 के बाद
मध्यावधि चुनाव से यह स्थिति बदली है.
-उन्होंने कहा कि पांच वर्ष के लिए एक साथ चुनाव हो, तो यह बहुत अच्छा रहेगा. इससे पूरे समय काम करने का मौका मिलेगा. संविधान के अतंर्गत कुछ बदलाव करना होगा.
– उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर कहा कि इसके लिए कई प्रावधान करने होंगे. विमर्श की आवश्यकता है. यह तुरंत संभव नहीं है, वक्त लगेगा.
-गुजरात में पाटीदारों के आरक्षण के समर्थन से संबंधित प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि न सिर्फ पाटीदार बल्कि जाट, मराठा सभी तरह के समुदाय जो कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, उनके आरक्षण की मांग का समर्थन करते हैं.
-मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए लोग इसकी मांग कर रहे हैं. परिस्थिति के अनुसार बदलाव हुआ है. इसका कोई राजनीतिक लेना देना नहीं है.
-मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला आरक्षण पर नीतीश ने कहा कि जिस समय उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव हुआ करते थे, उस समय भी राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक का हमारी पार्टी ने समर्थन किया था.
-नीतीश के मुताबिक आज लोकसभा में यह प्रस्ताव आये तो हम लोग इसका समर्थन करेंगे. हम लोगों ने पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में क्रमश: वर्ष 2006 एवं 2007 में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया था.
-उन्होंने कहा कि बिहार में इससे सभी वर्ग की महिलाओं को लाभ मिल रहा है. पिछड़ी जाति की महिलाओं को भी इसका लाभ मिल रहा है. यह नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
-बिहार सरकार के आउट सोर्सिंग में आरक्षण के निर्णय के बारे में पूछे गये एक प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके जरिये सरकार अपने काम के लिए लोगों को बहाल कर रही है.
-जिसके लिए सरकारी राजकोष से उस कंपनी को धन मुहैया कराया जाता है. स्वाभाविक है कि सरकार के धन का उपयोग करने पर आरक्षण कानून को मानना पड़ेगा. चाहे अनुबंध हो, चाहे आउट सोर्स हो, दोनों में आरक्षण को माना जाता है.
-धारा 370 और समान नागरिक संहिता को लेकर पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर देते हुए नीतीश ने कहा, मैं अपने पुराने स्टैंड पर कायम हूं. मेरा मानना है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.
-जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कान्फ्रेंस नेता फारक अब्दुला के कश्मीर संबंधी दिये गये बयान के बारे में पूछे गये एक प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, सबकी अपनी-अपनी राय है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर क्षेत्र भी भारत का अभिन्न अंग है.
-गौ-रक्षक को लेकर पूछे गये एक प्रश्न पर नीतीश ने कहा, प्रधानमंत्री से मेरी इस मामले पर बात हुई है. उनकी भी सहमति है कि इसके खिलाफ न्यायसंगत सख्त कार्रवाई हो.
– मैंने पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के प्रधान सचिव को भी इस बारे में कानून अपने हाथ में लेने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
-लालू प्रसाद के राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए इकलौता नामांकन करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि राजद लालू प्रसाद की पॉलिटिकल पार्टी नहीं है, यह तो उनकी निजी व पारिवारिक संपत्ति है. पिछले साल भी राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुआ था. हर साल चुनाव कराने के लिए हो सकता है उनकी पार्टी के संविधान में कुछ होगा.
-यह तो सिर्फ औपचारिकता है. पहले इकलौता नामांकन, फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे फिर कार्यकारिणी की बैठक बुलायेंगे. यह सब होशियारी वे मीडिया में स्पेश लेने के लिए कर रहे हैं. पहले वे मीडिया के डार्लिंग थे और अब पोस्टर ब्वॉय बन गये हैं. कैसे छपा जाता है और कैसे सुर्खियों में रहा जाता है, लालू प्रसाद को छात्र जीवन से मालूम है. उनकी पार्टी में किसी दूसरे का कोई स्थान भी नहीं है.
-जो लोग उनके साथ गये हैं, उन्हें यह मालूम है. वे जो बात करते हैं, उस पर अमल भी नहीं करते हैं. मुद्दे पर बहस हो तो वे भाग ले सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत आरोप व ओछे शब्दों का प्रयोग अच्छी राजनीतिक के लिए उचित नहीं है.
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