पटना : पुनाईचक सब्जी मंडी के पीछे झोंपड़पट्टी में बीती रात अगलगी में वीणा देवी की दोनों बेटियों किरण व नीतू के सर्टिफिकेट और सारी किताबें जल कर खाक हो गयीं. किरण ने हाल में ही इंटर का सर्टिफिकेट लिया था और उसको जमा कर वह बीए में एडमिशन लेना चाहती थी. नीतू के मैट्रिक का सर्टिफिकेट जल गया. यही नहीं, दोनों बहनों की सारी किताबें खाक हो गयीं. बताया जाता है कि मच्छर भगानेवाली अगरबत्ती से आग लगी थी. मालूम हो कि घटना में लगभग तीन दर्जन झोंपड़ियां बरबाद हो गयी थीं.
राख में ढूंढ़ रहे थे जिंदगी भर की कमाई : सोमवार को अगलगी के बाद बचे हुए राख में झोंपड़ियों में रहनेवाले लोग जिंदगी भर की कमाई ढूंढ़ रहे थे. पुरुष-महिलाएं ही नहीं, बल्कि बच्चे भी इसमें लगे हुए थे. वहीं कुछ लोग फिर से झोंपड़ी तैयार करने में जुटे हुए थे. वहां मौजूद गीता देवी ने बताया कि घटना में सारा सामान जल कर खाक हो गया. दवाई खाने के लिए चम्मच तक नहीं बचा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि जिला प्रशासन से मदद मिली है, लेकिन उतने कम पैसे में न झोंपड़ी बन सकती है और न ही जीवनयापन हो सकता है.
जब तक दमकल आया, सबकुछ हो चुका था स्वाहा : झोंपड़पट्टी में रहनेवाले लोग फायर ब्रिगेड पर आक्रोशित थे. लोगों का कहना था कि कई बार फोन लगाने के बाद भी फायर ब्रिगेड की टीम समय पर नहीं पहुंची. जब तक गाड़ियां आयीं, तब तक झोपड़ियां राख हो चुकी थीं. सारा सामान बरबाद हो चुका था. शमशाद आलम ने बताया कि मात्र 20 मिनट के अंदर ही झोंपड़ियां धू-धू कर जल गयीं. उधर, पटना फायर ऑफिसर सिपाही सिंह ने बताया कि अनुसंधान के क्रम में यह बात सामने आयी है कि किसी एक झोंपड़ी में लोग मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती जला कर सोये हुए थे और इसी के कारण आग लगी है.
जान बचाने के चक्कर में टूटी टांग : घटना के दौरान मो अली का बेटा शमशाद आलम अपनी झोंपड़ी में सोया हुआ था. अचानक ही उसे गरमी का एहसास हुआ और नींद खुल गयी. उसके चारों ओर आग था. दरवाजा पूरी तरह जल चुका था. निकलने का रास्ता बंद था. वह बाउंड्री के सहारे किसी तरह खुद को संभाला. फिर झोंपड़ी की छत को तोड़ कर उसमें से रास्ता बनाया और वह दीवार पर चढ़ कर दूसरी ओर कूद गया. बाउंड्री की ऊंचाई 12 फीट से अधिक थी. इसमें उसकी टांग टूट गयी.
31 परिवारों को सहायता राशि : उधर, अगलगी के शिकार पीड़ित परिवारों को जिला प्रशासन ने सोमवार को सहायता राशि प्रदान की. कुल 31 पीड़ित परिवारों को यह राशि प्रदान की गयी. सदर एसडीओ पंकज दीक्षित ने बताया कि सभी पीड़ितों को 4500 रुपये नकद, जबकि 100 किलो अनाज (50 किलो गेहूं व 50 किलो चावल) दिये गये. साथ ही हर परिवार को एक-एक पॉलीथिन शीट दी गयी. रेडक्रॉस की तरफ से भी पीड़ितों को सहायता मुहैया करायी गयी है.