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बिहार : पीएमसीएच में हड़ताल, तड़पते रहे मरीज, न दवा मिली, न इन्जेक्शन, बाहर से बुलाये 20 डॉक्टर फिर भी नहीं राहत

पटना : घटना के बाद पीएमसीएच की इमरजेंसी में दर्जनों मरीज बेड छाेड़ भाग गये. मरीजों का आरोप था कि सीनियर डॉक्टर भी उनको देखने नहीं आ रहे थे. ऐसे में कुछ मरीजों की हालत खराब हो रही थी. बाद में परिजनों ने प्राइवेट वाहन बुक कर मरीजों को प्राइवेट अस्पताल ले कर चले गये. […]

पटना : घटना के बाद पीएमसीएच की इमरजेंसी में दर्जनों मरीज बेड छाेड़ भाग गये. मरीजों का आरोप था कि सीनियर डॉक्टर भी उनको देखने नहीं आ रहे थे. ऐसे में कुछ मरीजों की हालत खराब हो रही थी. बाद में परिजनों ने प्राइवेट वाहन बुक कर मरीजों को प्राइवेट अस्पताल ले कर चले गये. इधर दो मरीजों को इन्जेक्शन नहीं लगने के चलते उनकी हालत काफी नाजुक हो गयी. आनन-फानन में उन्हें इमरजेंसी से उठा कर आइसीयू में भर्ती किया गया.

पीएमसीएच के इमरजेंसी में सिर्फ 147 मरीज ही इलाज कराने पहुंचे. सबसे अधिक परेशानी इमरजेंसी वार्ड में आये मरीजों को भुगतनी पड़ी. एक हाथ फ्रैक्चर लेकर आयी गया जिले की राधा शर्मा को बिना इलाज ही लौटना पड़ गया. बातचीत में महिला मरीज ने कहा कि गया जिले के एक अस्पताल में कच्चा प्लास्टर बंधवा कर पीएमसीएच आयी. यहां इमरजेंसी वार्ड में प्लास्टर चढ़ना था. लेकिन जूनियर डॉक्टर के नहीं होने से जहां रिपोर्ट नहीं बन पायी, वहीं महिला का प्लास्टर भी नहीं चढ़ पाया. नतीजा मरीज बिना इलाज ही अपने घर लौटे.

बंद कमरे में चली बैठक, आये कार्यपालक निदेशक: मारपीट के बाद प्रिंसिपल डॉ विजय गुप्ता के नेतृत्व में बैठक का आयोजन किया गया. इसमें अस्पताल के सभी विभागाध्यक्ष सहित कई सीनियर डॉक्टर मौजूद थे. बंद कमरे में करीब डेढ़ घंटे तक बैठक चली. जूनियर डॉक्टरों को कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार सिंह ने हड़ताल तोड़ने को कहा. बावजूद छात्र लिखित में अपनी डिमांड कर रहे थे. इधर घटना की रिपोर्ट बना कर वह विभाग लेकर गये.

सीसीटीवी से हुई पहचान, गये जेल: मारपीट की घटना के बाद मौके पर टीओपी पुलिस पहुंच गयी और कंट्रोल रूम में लगे सीसीटीवी फुटेज को देखना शुरू कर दिया. फुटेज के आधार पर पुलिस ने दो लोगों को पकड़ लिया और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज दिया. पीएमसीएच टीओपी प्रभारी संतोष कुमार ने बताया कि नीतीश कुमार व जितेंद्र नाम के दो आरोपितों को पकड़ा गया है. उन्हें डंडे से हमला करते हुए देखा गया. इसी आधार पर उन्हें जेल भेज दिया गया.

– डॉक्टर बाहर से बुलाये गये: पीएमसीएच की इमरजेंसी में मरीजों की बिगड़ती हालत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने 20 बाहरी डॉक्टरों को बुलाया. इन डॉक्टरों ने भर्ती मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया. ऐसे में थोड़ी राहत मिली, लेकिन मरीजों की तुलना में ये डॉक्टर भी

कम पड़े.

जूनियर डॉक्टरों की मांग

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार यादव ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों को न तो किसी तरह की सुरक्षा है और न ही सही मायने में कोई सुविधा मिल रही है. डॉ विनय ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा, ओपीडी व इमरजेंसी में अलार्म सिस्टम, गार्डों की संख्या में बढ़ोतरी, सभी वार्ड व परिसर में सीसीटीवी कैमरे, लेडीज पुलिस की तैनाती, सभी तरह की वैक्सीन व दवा, हाथ धोने के लिए साबुन आदि की मांग की गयी है. इन मांगों को पूरा करने का निर्देश जब तक लिखित में नहीं मिलेगा, तब तक हड़ताल समाप्त नहीं होगी.

दो साल तक की हो सकती है सजा

डॉक्टरों की हड़ताल कोई नयी बात नहीं है. पहले भी कई मौकों पर छोटी-छोटी बातों को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर उतर जाते हैं, जो अस्पताल में भरती मरीजों पर भारी पड़ती है. हालांकि डॉक्टरों की इस लापरवाही को लेकर कानून में कड़े प्रावधान हैं. पटना हाइ कोर्ट के अधिवक्ता अशोक कुमार की मानें तो किसी भी तरह की लापरवाही में आइपीसी की धारा 304 ए के तहत दो वर्षों की सजा या जुर्माना या दोनों निर्धारित है.

इसके लिए पीड़ित को थाने में मामला दर्ज कराना होगा. इस मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में होगी. मामला साबित होने पर डॉक्टर के प्रैक्टिस पर रोक लग सकती है. साथ ही उनका मेडिकल सर्टिफिकेट भी कैंसिल हो सकता है.

– डॉक्टर मरीज के साथ मानवता दिखाएं : आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ सुनील सिंह ने कहा कि पीएमसीएच में बार-बार क्यों मारपीट हो रहा और इस मारपीट के बाद जूनियर डॉक्टर क्यों हड़ताल पर जा रहे इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए. डॉ सिंह ने कहा कि जूनियर डॉक्टर दिन रात मेहनत से काम करते हैं, उनके साथ हिंसा फैलाना गलत है, सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द दोषियों को गिरफ्तार कर विधि अनुसार कार्रवाई करे. जूनियर डॉक्टरों को चाहिए कि पीड़ित मानवता को देखते हुए हड़ताल तोड़े, क्योंकि हड़ताल में निर्दोष मरीज परेशान होते हैं.

– क्यों होती है बार-बार मारपीट, होनी चाहिए जांच: आइएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि हम कई साल से हॉस्पिटल प्रोटेक्शन फोर्स की मांग कर रहे हैं, अस्पताल में सीआईएसएफ व सीआरपीएफ की तरह सरकार को सुरक्षा देनी चाहिए. सरकार के लाखों खर्च हो रहे हैं, लेकिन इसका असर कहीं भी दिखायी नहीं देता है. डॉक्टरों पर हमला पूरी तरह से निंदनीय है. वहीं मेरा कहना है कि जो घटना हुई वह पूरी तरह से राजनीति के तहत की गयी है, क्योंकि मरे मरीज को जिंदा लाना और फिर मारपीट करना इस मामले की जांच होनी चाहिए.

मौत नहीं तोड़ पायी प्यार, पत्नी के आंचल में ही पति ने तोड़ा दम

पटना. पीएमसीएच के इमरजेंसी गेट पर एंबुलेंस में एक पुरुष के शव के सामने लोग बिलख रहे थे. मरीज के दम तोड़ने के बावजूद उसकी पत्नी उसके पास ही छाती से चिपकी रही. वह बार-बार आंखें खोलने को बोल रही थी. यह वाकया जब अन्य मरीज के परिजनों ने देखा, तो सभी के आंखों में आंसू आ गये. पत्नी पीएमसीएच प्रशासन को दोष दे रही थी. दरअसल पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान पांच मरीजों की मौत हो गयी. इनमें एक मसौढ़ी के मनोज कुमार भी शामिल थे. घर के अकेले पुरुष मनोज की मौत के बाद पूरे घर में मातम छाया हुआ है.

हड़ताल में मरीजों को क्यों मिलती है सजा: मनोज की पत्नी मालती देवी ने पीएमसीएच प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि हालत गंभीर होने के बाद उसे पीएमसीएच लाया गया, लेकिन यहां डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया. सीनियर डॉक्टरों ने हड़ताल की बात कह इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान जाने को कह दिया. हालांकि परिजन एंबुलेंस से आइजीआइसी ले जाने के लिए तैयार हो गये. गाड़ी दूसरे अस्पताल की ओर जा ही रही थी कि बीच रास्ते में मरीज की मौत हो गयी.

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