पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज निजी क्षेत्र में आरक्षण की वकालत की और गैर-सरकारी क्षेत्रों, जहां रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं, की नौकरियों में आरक्षण लागू करने को लेकर एक सार्थक राष्ट्रीय बहस शुरू करने की अपील की. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर कहीं ज्यादा बढ़ रहे हैं. लिहाजा, इस क्षेत्र में आरक्षण लागू करने को लेकर एक सार्थक बहस होना जरूरी है. एक निजी टीवी चैनल की ओर से आयोजित कार्यक्रम राइजिंग बिहार 2017 में हिस्सा लेते हुए जदयू अध्यक्ष ने एक सवाल के जवाब में कहा, नौकरियों में आरक्षण से समाज के वंचित तबकों को समान अवसर मिलेंगे.
नीतीश ने कहा, समाज के सभी वर्गों का संतुलित विकास संविधान में निहित लक्ष्य है. आरक्षण उन तरीकों में से एक है जिससे हम इस लक्ष्य को पाना चाहते हैं. गौरतलब है कि आउटसोर्सिंग से जुड़ी सेवाओं में आरक्षण लागू करने के नीतीश के हालिया फैसले पर आजकल काफी चर्चा हो रही है. इससे पहले, नीतीश ने अपने संबोधन में कहा, बिहार से कामगारों का पलायन किसी खामी की निशानी नहीं है. लोगों में काम करने की क्षमता है और इसलिए वे देश के सभी हिस्सों में यात्रा करते हैं ताकि उनके कौशल के लिए सर्वश्रेष्ठ पारिश्रमिक उन्हें मिल सके, और यह उनका संवैधानिक अधिकार है.
उन्होंने कहा, हमारी सरकार उन्हें अपने घर में बेहतर मौके मुहैया कराने की कोशिश कर रही है ताकि वे नौकरी के बाजार में मोलभाव करने की बेहतर स्थिति में हों. इसी कार्यक्रम में राज्य के उप-मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वह निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने पर बहस शुरू करने के विचार का समर्थन करते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह गलतफहमी है कि भाजपा एवं आरएसएस पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के विरोध में हैं. सुशील ने कहा, आरक्षण एक हकीकत है. हम इससे इनकार नहीं कर सकते. मैं भी सहमत हूं कि निजी क्षेत्र में ही रोजगार के मौके उभर रहे हैं. इसलिए मैं इस मुद्दे पर बहस का समर्थक हूं.
उन्होंने कहा, यह गलतफहमी है जिसे हमारे विरोधी भुनाने की कोशिश करते रहे हैं कि भाजपा एवं आरएसएस आरक्षण के खिलाफ हैं. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का कार्यकाल एवं अब नरेंद्र मोदी की मौजूदा सरकार ऐसी बेबुनियाद खबरों का सामना करती रही है. आरएसएस संविधान के प्रावधानों के अनुसार हमेशा समाज के सभी वर्गों की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध रहा है. एक अन्य सवाल के जवाब में सुशील ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को अगंभीर एवं अराजक करार दिया और नीतीश के जदयू एवं राजद के बीच कुछ वक्त पहले तक रहे गठबंधन को अस्वाभाविक करार दिया.
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