पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के विश्वासपात्र अनवर अहमद के सहकारी बैंक मामले की जांच करते समय लालू और उनके परिवार की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार ने बेनामी संपत्ति खरीद में अपने विश्वासपात्र रहे पूर्व एमएलसी अनवर अहमद के आवामी को-आॅपरेटिव बैंक का पूरा इस्तेमाल किया.
पटना स्थित अपने आवास पर आज आयोजित जनता दरबार के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय को अनवर अहमद के को-आॅपरेटिव बैंक की जांच करते समय लालू प्रसाद की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकार भी इस सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली की जांच कराएगी सुशील ने कहा कि निश्चित तौर पर ऐसा होगा.
सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि अनवर अहमद का प्रवेश लालू प्रसाद के रसोई घर तक था और उनके लिए मांसाहारी भोजन खासतौर पर कबाब बनाने के कारण मीडिया ने उनका नाम कबाब मंत्री के तौर पर कर दिया था. सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि अनवर अहमद के आवामी को-आॅपरेटिव बैंक का इस्तेमाल लालू परिवार और राजद से जुड़े लोगों के काले धन को सफेद करने, अपने लोगों को कर्जा दिलवाने तथा नोटबंदी के बाद लालू सहित राजद नेताओं के 500 और 1000 के नोट को सफेद करने में इस्तेमाल हुआ.
उपमुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद और उनके परिवार की बेनामी संपत्ति खरीद में आवामी को-आॅपरेटिव बैंक का पूरा इस्तेमाल किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि लालू ने अनवर अहमद को दो बार :एक बार राज्यपाल कोटे से: बिहार विधान परिषद सदस्य बनाया ताकि उनके बैंक का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने के किया जा सके. सुशील ने दावा किया कि जमीन खरीद के अनेक मामलों में इस सहकारी बैंक के माध्यम से संदिग्ध राशि का भुगतान दिखाया गया है.
सुशील मोदी ने इस बैंक में लालू और राबड़ी का खाता होने तथा उसके अभी भी क्रियाशील होने का आरोप लगाते हुए कहा कि लालू के खाता में 58 लाख रुपये तथा राबड़ी के खाते में 15.62 लाख रुपये जमा हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राबड़ी देवी के 18 फ्लैट जिस अरविंद यादव के परिवार की जमीन पर बने हैं उस परिवार को दियेगये 12 लाख 86 हजार रुपया और दो लाख 45 हजार रुपये के पांच अलग-अलग चेक इसी आवामी को-आॅपरेटिव बैंक के हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक के अध्यक्ष अनवर अहमद ने नोटबंदी के बाद 60 मजदूरों के नाम बैंक खाते खोलकर प्रत्येक में 2.30 लाख जमा कराया. सुशील ने आरोप लगाया कि 2.30 लाख जमा करवाया गया तथा 24 हजार हर सप्ताह निकाला गया ताकि आयकर विभाग की निगाह से बचा जा सके. उन्होंने आरोप लगाया कि जिन मजदूरों के नाम से खाता खोलकर पैसा जमा कराया गया उन्हें पता भी नहीं कि उनके नाम से खाते खोले जा रहे हैं.
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सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि अहमद के ट्रस्ट में छापेमारी के दौरान 10 लाख के नये 2000 और 500 के नोट बरामद किये थे. उन्होंने आरोप लगाया कि इन खातों में 11 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा करने के तुरंत बाद निकाल ली गयी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अहमद ने अपने परिवार के 4 ट्रस्ट का इस्तेमाल नोटबंदी के बाद 500 और 2000 के नोट जमा करने के लिए इस्तेमाल किया. उन्होंने आरोप लगाया कि इन सभी ट्रस्ट का खाता भी इसी आवामी को-आॅपरेटिव बैंक में था जहां दिखलाया गया कि चंदा के रूप में यह राशि उन्हें दान स्वरूप मिली है. उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी के समय छापेमारी के दौरान इस सहकारी बैंक के 70 बेनामी खातों से 1012 करोड़ रुपये के कालेधन को सफेद करने के साक्ष्य मिले हैं.
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