बाल विवाह पर आंकड़े दुरुस्त करे एजेंसी
एतराज : पॉपुलेशन काउंसिल के सेमिनार में प्रस्तुत रिपोर्ट पर उठे सवाल, मंत्री बोलीं पटना : बिहार में किशोरों की स्थिति पर पेश हो रहे एक स्वतंत्र अध्ययन रिपोर्ट पर उसके लोकार्पणकर्ताओं ने ही सवाल खड़े कर दिये. पॉपुलेशन काउंसिल नामक संस्था की इस सर्वे रिपोर्ट में बिहार में बाल विवाह के आंकड़े पर आपत्ति […]
एतराज : पॉपुलेशन काउंसिल के सेमिनार में प्रस्तुत रिपोर्ट पर उठे सवाल, मंत्री बोलीं
पटना : बिहार में किशोरों की स्थिति पर पेश हो रहे एक स्वतंत्र अध्ययन रिपोर्ट पर उसके लोकार्पणकर्ताओं ने ही सवाल खड़े कर दिये. पॉपुलेशन काउंसिल नामक संस्था की इस सर्वे रिपोर्ट में बिहार में बाल विवाह के आंकड़े पर आपत्ति दर्ज की गयी. संस्था के अनुसार बिहार में 44 फीसदी बाल विवाह हो रहा है.
इस पर अध्ययन रिपोर्ट का लोकार्पण करने पहुंची समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एतराज जताते हुए कहा कि बिहार में बाल विवाह की संख्या में कमी आ रही है, लेकिन एजेंसी की रिपोर्ट कुछ और कह रही है. बता दें कि यह अध्ययन बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और डेविड एंड लुसिले पैकार्ड फाउंडेशन के समर्थन से पॉपुलेशन काउंसिल ने किया था और कार्यक्रम की सहभागी महिला विकास निगम, बिहार सरकार भी थी.
सेमिनार में पेश सर्वे पर समाज कल्याण मंत्री ने उठाये सवाल : बिहार में 44 फीसदी बाल विवाह होने के आंकड़े पर सवाल उठाते हुए पहले समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने कहा कि आप सर्वे केवल स्लम एरिया में ही नहीं करें. सर्वे सभी इलाकों में करें ताकि सही आंकड़े सामने आ सके. मंजू वर्मा ने कहा कि आज तो प्रदेश की स्थिति यह है कि लड़के कुंवारे बैठे हैं, लड़कियां पढ़ रही हैं और लड़कों के कई परिवार बस कुटुंब के आने का इंतजार ही कर रहे हैं.
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी अांकड़ों को फिर से जांचने और दुरुस्त करने की सलाह दी. रिपोर्ट में घरेलु हिंसा को लेकर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि संस्था के रिपोर्ट कह रहे हैं कि 76 फीसदी शादीशुदा लड़कियां हिंसा की शिकार हैं जबकि हमारा अध्ययन कहता है कि ऐसे केवल 52 फीसदी मामले ही हैं.
2007 के मुकाबले 2016 में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है.
2007 के मुकाबले 2016 में बाल मजदूरी में कमी आयी है
2007 में 2-8 प्रतिशत के मुकाबले 2016 में 34-52 % किशोरों के पास अपना खाता है.
42 फीसदी अभी भी कांट्रासेप्टिव का इस्तेमाल नहीं करते.
बिहार में हर 14 विवाहित लड़कियों में से एक मानसिक रूप से उत्पीड़ित
पहले बच्चे के जन्म के समय में आया सुधार, 51 फीसदी वक्त लेकर पहला बच्चा पैदा करते हैं
50 फीसदी लड़के और 46 फीसदी लड़कियां माता-पिता से मार खाते हैं.
37 फीसदी शादीशुदा लड़कियां यौन हिंसा की शिकार