नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जदयू के शरद गुट के तीर के चुनाव चिह्न पर दावे को खारिज करनेवाले निर्वाचन आयोग के आदेश के खिलाफ कोई भी अंतरिम आदेश बुधवार को पारित नहीं किया. निर्वाचन आयोग ने 17 नवंबर को अपने आदेश में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गुट को असली जदयू बताया था.
न्यायमूर्ति इंदरमीत कौर ने कहा कि अदालत के पास अंतरिम आदेश देने के लिए प्रथम दृष्टया कुछ नहीं है. क्योंकि, निर्वाचन आयोग ने अभी अपने फैसले की वजहों को नहीं बताया है. अदालत ने चुनाव आयोग के वकील को ये निर्देश लेने के लिए कहा कि निर्वाचन आयोग कारण बतानेवाला आदेश कब देगा. मामले की सुनवाई अदालत गुरुवार को करेगी. गुजरात से विधायक छोटूभाई वसावा की याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही है, जो जदयू के यादव गुट के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.
विधायक के वकील ने अदालत को बताया कि गुजरात चुनाव के लिए नामांकन दायर करने का पहला चरण मंगलवार को समाप्त हो गया है. दूसरा चरण अन्य 10 दिनों में पूरा किया जायेगा और इससे पहले यह तय किया जाना चाहिए कि चुनावों के दौरान कौन इस चिह्न का इस्तेमाल करेगा. बहरहाल, नीतीश गुट के वकीलों ने अदालत को बताया कि निर्वाचन आयोग का फैसला उनके पक्ष में आने के साथ ही उसके सदस्य पहले ही तीर चिह्ल के साथ नामांकन दायर कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के आदेश से यादव गुट के दावे को खारिज करने का कारण मिलता है, क्योंकि आयोग ने कहा है कि नीतीश गुट के पास विधानसभा में बहुमत है. नीतीश के जुलाई में भाजपा में शामिल होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री और यादव ने अपनी राह जुदा कर ली थी और इसके बाद दोनों के बीच पार्टी के नियंत्रण को लेकर लडाई शुरू हो गयी.