VIDEO में देखिए, नीतीश ने शुरू की लखीसराय में पुरातात्विक खुदाई की शुरुआत, अब इतिहास कुछ कहेगा

लखीसराय: बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज लखीसराय के दौरे पर हैं.जिलेमें स्थित लाल पहाड़ी अपने अंदर बहुत सारेऐतिहासिक तथ्यों और पहलुओं को समेटे हुए है. लाल पहाड़ी केगर्भ में छुपे ऐतिहासिक तथ्यों को आम लोगों के साथ पूरा विश्व जाने इसके लिए उसकी खुदाई जरूरी है. लाल पहाड़ी के संदर्भ में विश्व शांति निकेतनके पुरातत्वसेजुड़े […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2017 3:09 PM

लखीसराय: बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज लखीसराय के दौरे पर हैं.जिलेमें स्थित लाल पहाड़ी अपने अंदर बहुत सारेऐतिहासिक तथ्यों और पहलुओं को समेटे हुए है. लाल पहाड़ी केगर्भ में छुपे ऐतिहासिक तथ्यों को आम लोगों के साथ पूरा विश्व जाने इसके लिए उसकी खुदाई जरूरी है. लाल पहाड़ी के संदर्भ में विश्व शांति निकेतनके पुरातत्वसेजुड़े विशेषज्ञ भी अपनी रुचिदिखा चुके हैं. उसके बाद सेहीयह कयास लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री लाल पहाड़ी के रहस्यों को उजागर करने के लिए उसका दौरा करेंगे और उसकी खुदाईकी शुरुआतकरेंगे. आखिर,शनिवार को वह मौका आहीगया और हेलीकॉप्टरसे मुख्यमंत्री लाल पहाड़ी पहुंच गये.

सबसे पहले लाली पहाड़ी पर पुरातात्विक अवशेष की खुदाई कार्य का शुभारंभ करने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 12.40 में हेलीकॉप्टर से लाली पहाडी पहुंचे. इसको लेकर कार्यक्रम स्थल लाली पहाड़ी के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कडे इंतजाम किए गए थे. जमीन से लेकर पहाड़ तक कुल 50 जगहों पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल की तैनाती की गई थी. मुख्यमंत्री के साथ मंत्री राजीव रंजन सिंह ललन, विजय कुमार सिन्हा, श्रवण कुमार, कृष्ण कुमार त्रृषि एवं सासंद वीणा देवी मौजूद रहीं.

सीएम के पहुंचते ही पहाड़ी के समतल जगह पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. बताते चलें कि आज से बिहार विरासत बचाओ समिति और विश्व भारती विश्व विद्यालय शांति निकेतन के द्वारा खुदाई कार्य प्रारंभ किया जाना था. इसकी शुरुआत करने के लिए सीएम लखीसराय पहुंचे थे. लाली पहाड़ी के अंदर दफन पाल कालीन और बौद्ध अवशेषों को निकाला जायेगा. लखीसराय वार्ड नंबर 33 स्थित लाली पहाड़ी के गर्भ में छिपा रहस्य यह बता रहा है कि भगवान बुद्ध तीन वर्षों तक यहां आकर रुके थे.

बोध गया ,राजगीर से लखीसराय को जोड़कर बौद्ध सर्किट बनाए जाने से यह जिला भी अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर आ जायेगा. पहाड़ी की खुदाई से लोग अपने विरासत को भी जान पायेंगे. इस कार्यक्रम से आम लोगों को दूर रखा गया था लिहाजा लोगों को थोड़ी मायूसी जरूर हुई लेकिन दूसरी तरफ लोग इस बात से खुश दिखे कि अब तक बड़े बुजुर्गों के मुंह से सुनी सनाई कहानी के बजाय तथ्य के साथ विरासत की तस्वीर साफ हो सकेगी.

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