पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी का संकल्प को दोहराते हुए कहा कि जब तक जिंदा हूं, तब तक यह कानून लागू रहेगा. कानून के अनुपालन के लिए उन्होंने चौकीदार से लेकर पुलिस और उत्पाद विभाग के सभी स्तर के अधिकारियों एवं कर्मियों तक हर तरह के नशे पर कड़ी नजर रखने की बात कही. रविवार को अधिवेशन भवन में ‘नशा मुक्ति दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि अब हर साल 26 नवंबर को ‘नशामुक्ति दिवस’ मनाया जायेगा. इससे पहले ‘मद्य निषेध दिवस’ मनाया जाता था. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सभी गांवों में ट्रांसफॉर्मर और बिजली के खंभों पर पुलिस एवं उत्पाद विभाग के कंट्रोल रूम का नंबर लिखा जायेगा. इस नंबर पर कोई भी शराब के अवैध धंधे या बिक्री की सूचना दे सकता है. इस तरह की शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई, इसका पूरा रिकॉर्ड रखा जायेगा.
उन्होंने कहा कि बिहार को शराबबंदी को देखते हुए दूसरे राज्यों में भी आवाजें उठने लगी हैं. देश के कई राज्यों में शराबबंदी कानून का अध्ययन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के साथ ही बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान चलेंगे. इसके लिए जीविका की दीदीयों को मुस्तैद रहने की नसीहत देते हुए कहा कि इन तीनों के खिलाफ तीखी नजर रखें. अभियान को घर-घर तक पहुंचाने का काम करें. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने एक नशा मुक्ति संदेश पत्र का भी विमोचन किया.
उत्पाद विभाग के आइजी देख सकते हैं किसी भी थाने के मामले
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून की सशक्त मॉनीटरिंग के लिए खासतौर से एक तंत्र विकसित किया गया है. उत्पाद विभाग के आइजी से लेकर सिपाही तक सीआइडी के अंतर्गत अलग विंग तैयार किया गया है. इसका अधिकार होगा कि यह किसी थाने से शराब से जुड़े मामले अपने अधीन ले सकता है. इसके लिए किसी से आदेश लेने की जरूरत नहीं है. आर्थिक अपराध इकाई के मामलों को छोड़ कर यह विंग सभी मामलों की पड़ताल करेगा. यह विंग शिकायतों, कार्रवाई आदि की पूरी मॉनीटरिंग करेगा.
सरकारी कर्मियों पर भी हुई कार्रवाई
शराबबंदी कानून में लापरवाही बरतने या मिलीभगत के कारण 17 कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है. आठ कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है. सिर्फ पुलिस कर्मियों की बात करें, तो 224 के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. 29 को बर्खास्त कर दिया गया. 80 जेल भेजे गये और 15 पुलिस कर्मियों को 10 साल के लिए किसी थाना में तैनाती से महरूम रखने की सजा सुनायी जा चुकी है.