पटना : केंद्र सरकार ने अति विशिष्ट और विशिष्ट व्यक्तियों को प्रदान की गयी सुरक्षा की समीक्षा के बाद, कई नेताओं की सुरक्षा को घटाने का फैसला लिया. यह फैसला सामने क्या आया, राजनीति और बयानबाजी का दौर शुरू हो गया. केंद्र सरकार ने राजद सुप्रीमो लालू यादव और बिहार में एनडीए के घटक दल हम के प्रमुख नेता जीतन राम मांझी की सुरक्षा में कटौती कर दी. अब जीतन राम मांझी केंद्र सरकार के इस फैसले से दुखी हैं और उन्होंने कहा है कि उनकी जान को खतरा है. उधर केंद्र सरकार ने लालू को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि सिर्फ उन्हीं की सुरक्षा नहीं घटायी गयी है, बल्कि उसमें जीतन राम मांझी भी शामिल हैं.
केंद्र ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को मिली जेड प्लस सुरक्षाको वापस ले ली है. अब उनके साथ किसी भी केटेगरी में सीआरपीएफ की तैनाती का आदेश अभी तक नहीं दिया गया है. केंद्र ने जीतनराम मांझी की सुरक्षा की व्यवस्था खत्म कर दी है. उनके साथ अब सुरक्षा कर्मी नहीं रहेंगे. मांझी बिहार के गया जिले से आते है जो कि नक्सल प्रभावित इलाका है. ऐसे में उनकी सुरक्षा को हमेशा जरूरी माना जाता रहा है. माना जाता है कि यह मांझी की केंद्र सरकार के खिलाफ बयानबाजी का नतीजा है. जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने इस बारे में पहले राज्य सरकार से राय जरूर ली है, उसके बाद ही यह फैसला किया है.
सिक्यूरिटी घटाये जाने के बाद जीतन राम मांझी ने आश्चर्य व्यक्त किया है और उन्होंने इस फैसले पर अपने तरीके से सवाल खड़ा किया है. मांझी इस फैसले से काफी नाराज हैं. वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि हाल के दिनों में एनडीए को लेकर मांझी की बयानबाजी का असर इस फैसले का कारण है. मांझी नेटीवी चैनलों से बातचीत में कहा कि मुझे नहीं मालूम किस विभाग और एजेंसी ने यह रिपोर्ट तैयार की है और गृह मंत्रालय को भेजा है. मुझे तो आज भी जान का खतरा है और मेरी कभी भी हत्या हो सकती है, वैसे में मेरी सुरक्षा को घटना पूरी तरह अचंभित करता है. हालांकि, अब मांझी के सुरक्षा की जिम्मेदारी बिहार पुलिस के जवान ही उठायेंगे.
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