पटना : बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया, हालांकि पहला दिन ही बयानों को लेकर काफी हंगामेदार रहा, लेकिन सवाल उठता है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था और सृजन के साथ शौचालय जैसी घोटाला से दो चार हो रही वर्तमान सरकार के लिए प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव कितने तैयार हैं. राजद की हाल में हुई सभी बैठकों में लालू यादव ने साफ इशारा कर दिया है कि उनकी राजनीतिक विरासत को तेजस्वी ही संभालेंगे. लालू के इस फरमान का असर तेजस्वी की भाव-भंगिमा में भी दिखता है. जैसे, विधानसभा में मीडिया के प्रश्नों का जवाब देते वक्त भी तेजस्वी आगे होते हैं और अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे नेता भी उनके पीछे या बगल में खड़े रहते हैं.
इस शीतकालीन सत्र में सदन की कार्यवाही शुक्रवार यानी एक दिसंबर तक चलेगी. प्रतिपक्ष के पास पांच दिन हैं, जिसमें से आज का दिन निकल गया. इन चार दिनों में बहुत सारे ऐसे मुद्दे हैं, जिस पर प्रतिपक्ष सरकार को घेर सकता है. सत्र के पहले दिन विपक्षी सदस्यों के तेवर से यह स्पष्ट हो गया कि यह सत्र हंगामेदार ही रहेगा. विपक्षी सदस्यों ने आज अपने गले में सृजन घोटाला, शौचालय घोटाला और खराब विधि व्यवस्था के अलावा धान खरीद घोटाला की तख्तियां गले में टांग रखी थीं. सोमवार को सत्र के शुरू होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मीडिया को कहा कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है. उनके मुताबिक सभी विभागों में घोटाला हुआ है. सरकारी राशि की बर्बादी हो रही है. वहीं सत्ता पक्ष के भाजपा विधायक ने यह कहा कि जिसका पूरा परिवार भ्रष्टाचार के आरोप में घिरा है, उसे बोलने का कोई हक नहीं.
तेजस्वी की तैयारी की बात करें, तो पार्टी की मानें तो राजद ने जहां राज्य में कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाने की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस ने चार दिन के सत्र में सरकार की चार वर्षों की विफलताओं को उजागर करने का मन बनाया है,जबकि कुछ दिन कांग्रेस भी उसमें भागीदाररही. तेजस्वी यादव ने आज इशारों में ही बता दिया कि विपक्ष की तैयारी पूरी है और अगले चार दिनों तक भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष को घेरा जायेगा. सदस्यों के संख्याबल के हिसाब से देखें तो राजद और कांग्रेस के 108 सदस्य हैं. तेजस्वी की प्लानिंग है कि विपक्ष मजबूत है और पिछले 6 माह में अपराध के बढते आंकड़े और सृजन घोटाला,शौचालय घोटाला,बांध घोटाला जैसे मुद्दों पर नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार विरोधी नीति पर प्रहार किया जाएगा वहीं नियमित शिक्षकों के सवाल पर हंगामा कर शिक्षकों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की जाएगी.
लालू प्रसाद एवं उनके परिवार पर गिरी गाज की कसक भी राजद सदस्यों में दिखेगी.लालू प्रसाद से जेड प्लस की सुरक्षा की वापसी को मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी है.तेजस्वी यादव के बयानों से भी यह साफ है कि राजद इसे बड़ा मुद्दा बनायेगा. विपक्षी नेताओं की मानें तो सरकार को तीखे सवालों के जवाब देने होंगे, जिसकी तैयारी उनके नेता ने कर ली है. राजद के कई सदस्यों ने दबी जबान में इशारा किया है कि इस बार नीतीश कुमार को समझ में आयेगा कि मजबूत विपक्ष क्या होता है. विपक्ष को नजरअंदाज करना इस बार सत्तापक्ष के लिए आसान नहीं होगा.
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