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विश्व एड्स दिवस आज : एचआईवी नहीं तोड़ सका प्रेम का बंधन, दो जोड़ियों ने एचआईवी को दी मात

आनंद तिवारी पटना : सच्चे प्यार की कहानी सुनिए. ऐसा इश्क, जिसे एड्स का खौफ भी नहीं हिला सका. जुल्फों की ओट से निगाहों की शरारत के साथ एक रिश्ते की नींव रखी गयी. सात जन्म के सपने संजोये गये. इसी बीच साथी एक बड़ी गलती कर बैठा. जिंदगी मोतियों की माला की तरह बिखर […]

आनंद तिवारी
पटना : सच्चे प्यार की कहानी सुनिए. ऐसा इश्क, जिसे एड्स का खौफ भी नहीं हिला सका. जुल्फों की ओट से निगाहों की शरारत के साथ एक रिश्ते की नींव रखी गयी. सात जन्म के सपने संजोये गये. इसी बीच साथी एक बड़ी गलती कर बैठा.
जिंदगी मोतियों की माला की तरह बिखर गयी. दूरी बनाने की कोशिश करने लगा. दोस्त ने सात फेरों के लिए जिद ठानी, तो मजबूरी बतानी जरूरी थी. दोनों के बीच एक सन्नाटा खिंच गया. एक तरफ मोहब्बत थी, दूसरी तरफ मौत की ओर जानेवाला रास्ता.
केस 1
एड्स पर इश्क की हुई जीत
अब दोनों हैं खुशहाल
सुमन ने रोशन से दो दिन का समय मांगा, इसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला लिया. हालांकि परिवार व समाज के लिए यह इतना अासान नहीं था. बातचीत के दौरान रोशन ने बताया कि एचआईवी पॉजीटिव रिपोर्ट के मुताबिक रोशन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम थी, उनकी जिंदगी के दिन गिने चुने थे. सुमन की मुहब्बत से रोशन को हिम्मत मिली.
ये हैं इस कहानी के पात्र
इस सच्ची कहानी के पात्र हैं पटना के कंकड़बाग के रहनेवाले रोशन कुमार और सुमन (दोनों का बदला नाम है) गोपालगंज के रहनेवाले दोनों का अफेयर शादी के चार साल पहले से ही था.
सन 2011 में दोनों ने शादी की, रोशन पटना में रह कर एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है. रोशन बताते हैं कि शादी से पहले वह मुंबई नौकरी करने गये थे. इस बीच तबीयत खराब रहने लगी. रोजाना बुखार रहता था. वजन घटने लगा, जांच करायी तो जिंदगी में भूचाल आ गया था. एचआईवी पॉजीटिव रिपोर्ट आने के बाद रोशन ने सुमन से बात करना बंद कर दिया. जिंदगी में किसी दूसरी महिला के होने की आशंका से सुमन डर गयी थी. हकीकत मालूम हुई, तो वह खूब रोयी.
केस 2
इनकी भी जिंदगी तन्हा थी, अब खिलखिलाती है
पटना सिटी के रमेश कुमार की जिंदगी तन्हा थी. साल 2010 में एक गलती ने उन्हें समाज परिवार से दूर कर दिया था. उनके दोस्त भी अलग रहने लगे थे. ऐसी हालत में लोग मौत का रास्ता अख्तियार कर लेते हैं. रमेश तो जिंदगी जिंदाबाद पर विश्वास करते थे. एचआईवी एड्स सेंटर में एक दिन रमेश की नजर एक चेहरे पर अटक गयी. वह महिला उसी सेंटर में काम कर रही थी, जज्बातों को टटोला, तो मालूम हुआ कि उसकी कहानी भी रमेश जैसी है. दोनों करीब आये और रिश्तों की डोर बंध गये. 2013 में दोनों ने शादी कर ली.
पेश की नजीर
केंद्र व राज्य सरकार एड्स जागरूकता को लेकर विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन लोगों के जेहन में विज्ञापन की बातें कितनी उतर पायी हैं, इसकी हकीकत किसी एड्स पीड़ित शख्स से ही पूछने पर पता चलती है. दोनों जोड़े ने जिस तरह से एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद भी शादी की और अपनी जिंदगी को हंसी खुशी आगे बढ़ा रहे हैं, वह एक नजीर है एवं प्रेरणादायी होने के साथ-साथ मिथ्या, भ्रांतियों को तोड़ता है.

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