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इलाज का खेल: कई जिलों में नेटवर्क, डॉक्टर से एंबुलेंस चालक तक का बंधा होता है कमीशन

पटना: सेहत के रखवाले अगर सौदा करने पर आमादा हो जाएं और प्रशासन चुप्पी साध ले तो यकीनन मरीजों का भला नहीं हो पायेगा. ऐसा ही देखने सुनने को मिल रहा है पटना जिले के बाइपास एरिया में संचालित हो रहे प्राइवेट अस्पतालों में. करीब 12 किलोमीटर में फैले अस्पतालों का नेटवर्क पटना के साथ […]

पटना: सेहत के रखवाले अगर सौदा करने पर आमादा हो जाएं और प्रशासन चुप्पी साध ले तो यकीनन मरीजों का भला नहीं हो पायेगा. ऐसा ही देखने सुनने को मिल रहा है पटना जिले के बाइपास एरिया में संचालित हो रहे प्राइवेट अस्पतालों में. करीब 12 किलोमीटर में फैले अस्पतालों का नेटवर्क पटना के साथ कई जिलों के प्राइवेट अस्पताल, एंबुलेंस, सरकारी अस्पताल में घूम रहे दलालों के साथ जुड़ा रहता है. ये दलाल सीधे संबंधित अस्पताल में मरीजों को ला कर भर्ती कर देते हैं.

इसके बदले उनको मोटी कीमत मिलती है. पिछले 11 माह में दर्जनों ऐसे मामले आ चुके हैं जिसमें या तो मरीज की मौत हो गयी या फिर मरीज को पीएमसीएच के बदले प्राइवेट अस्पताल लाकर भर्ती कर देते हैं.

पीएमसीएच के बदले सीधे बाइपास कर कर देते हैं भर्ती : प्रदेश के दूसरे जिलों में भर्ती मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पटना पीएमसीएच रेफर किया जाता है, लेकिन मरीज के सौदागर खासकर एंबुलेंस चालक बाइपास के प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करा देते हैं. इस बीच वह मरीजों को कई तरह का लालच देते हैं, एंबुलेंस चालकों के झांसे में आकर मरीज भर्ती हो तो जाते हैं, लेकिन उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती है. अगर मरीज अधिक गंभीर हो जाता है तो उसे उन अस्पताल के डॉक्टर पीएमसीएच भेज देते हैं.
केस 1
09 मार्च, 2017
वैशाली की रहने वाली रीना देवी (21) गर्भ से थी जिसका इलाज हाजीपुर निजी अस्पताल में चल रहा था. वहां के अस्पताल ने बाइपास एरिया के अर्थ अस्पताल में रेफर कर दिया. गर्भ में ही बच्ची की मौत हो गयी, इलाज के दौरान जब हालत गंभीर हुई तो उसे वहां से भी पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. पीएमसीएच इमरजेंसी के बेड नंबर 32 पर रीना की मौत हो गयी.
केस 2
13 नवंबर, 2017
बाइपास स्थित फोर्ड हॉस्पिटल में 45 साल के नंद किशोर साह नाम के एक मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जम कर हंगामा किया. मृतक के परिजनों का आरोप था कि मरीज की मौत दो दिनों पहले ही हो गयी थी, लेकिन हॉस्पिटल ने पैसे ऐंठने के लिए इसकी जानकारी नहीं दी. स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा-बुझा कर मामला शांत कराया.
कई अस्पतालों पर हो चुकी है कार्रवाई
सिविल सर्जन डॉ पीके झा ने बताया कि समय-समय पर प्राइवेट अस्पतालों में छापेमारी की जाती है, पिछले साल ही बाइपास स्थित कई प्राइवेट अस्पतालों में छापेमारी की गयी. नियमानुसार उन पर कार्रवाई भी की गयी. कई अल्ट्रासाउंड केंद्र भी बंद कराये गये. ऊपर के अधिकारी से बात कर रणनीति बनायी जायेगी.

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