सुविधाएं नहीं पर मनमर्जी से ट्रॉमा और इमरजेंसी का लगा दिया बोर्ड

पटना : बाइपास में खुले अस्पतालों में कई जगह आपको इमरजेंसी व ट्राॅमा सेंटर का बोर्ड लगा दिख जायेगा. मगर जब आप इन अस्पतालों की हकीकत देखेंगे, तो इनमें स्पेशलाइज्ड कोई भी सुविधा नहीं दिखेगी. इनके संचालकों ने मनमाने तरीके से बोर्ड लगा कर खुद को स्पेशलाइज घोषित कर लिया है. न तो इनके पास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2017 7:53 AM
पटना : बाइपास में खुले अस्पतालों में कई जगह आपको इमरजेंसी व ट्राॅमा सेंटर का बोर्ड लगा दिख जायेगा. मगर जब आप इन अस्पतालों की हकीकत देखेंगे, तो इनमें स्पेशलाइज्ड कोई भी सुविधा नहीं दिखेगी. इनके संचालकों ने मनमाने तरीके से बोर्ड लगा कर खुद को स्पेशलाइज घोषित कर लिया है. न तो इनके पास ट्रॉमा व इमरजेंसी के उपकरण होते हैं और न ही विशेषज्ञ डॉक्टर. जीएनएम स्तर की प्रशिक्षित महिलाओं से डॉक्टर का काम लिया जाता है, जबकि एमबीबीएस डॉक्टर सीरियस मेडिकल इमरजेंसी के मरीजों का इलाज करते हैं.
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी है. न तो विभाग इसको लेकर गंभीर दिखता है और न ही जिला स्वास्थ्य समिति इन पर कोई नियंत्रण रख पा रही. निजी नर्सिंग होम व अस्पतालों पर नियंत्रण को लेकर नर्सिंग एक्ट लागू हुए तीन साल से अधिक गुजर चुके हैं, बावजूद अब तक एक भी नर्सिंग होम को न तो चेतावनी जारी हुई है, न कोई कार्रवाई हुई.
पटना में सबसे अधिक अस्पताल बाइपास इलाके में संचालित हो रहे हैं. बड़ी बात तो यह है कि सभी अस्पतालों के सामने बड़े-बड़े बोर्ड लगे हुए हैं.
किसी बोर्ड पर डॉक्टरों की डिग्री यूएसए से एमडी, एमएस तो किसी पर पीजी व एमसीएच लिखा हुआ है. इन डॉक्टरों की डिग्रियां फर्जी हैं या किसी इनके पास मेडिकल की डिग्री है, इसकी जांच करने वाला कोई नहीं है. पटना में अब तक डॉक्टरों की डिग्री को लेकर छापेमारी भी नहीं हुई है. जबकि प्रदेश के मोतिहारी, गोपालगंज आदि जिलों में फर्जी डॉक्टर पकड़े जा चुके हैं.
इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर के नाम से संचालित हो रहे इन अस्पतालों के बेड चार्ज सुन मरीज कांप जाते हैं. यहां मरीजों को डीलक्स, एसी, जेनरल, निजी आदि नाम से मरीजों को बेड मुहैया कराया जाता है. इतना ही नहीं इन अस्पतालों में 1200 से 3 हजार रुपये तक बेड चार्ज रखे गये हैं. गंभीर हालत में आने के बाद मरीज पेमेंट का भुगतान कर देते हैं.
नाम न बताने की शर्त पर अस्पतालों में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों से जब बातचीत की गयी, तो पता चला कि बाइपास एरिया में करीब डेढ़ दर्जन इमरजेंसी व ट्राॅमा सेंटर अस्पताल चला रहे हैं. लेकिन किसी ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है.
कर्मियों की मानें, तो गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों के लिए अस्पताल में कुछ डॉक्टर रखे जाते हैं. लेकिन, इमरजेंसी स्थिति में विशेषज्ञ डॉक्टर को कॉल पर बुलाना पड़ता है. ऐसे में कभी-कभी समय पर इलाज नहीं हो पाने की स्थिति में गंभीर मरीजों की मौत भी हो जाती है.

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