पटना : जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने आज कहा कि शरद यादव ने जिस प्रकार का व्यवहार किया और पार्टी के निर्देश का उल्लंघन किया उसी के अनुसार राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू का फैसला आया और इसके लिए वह स्वयं जिम्मेवार हैं. पटना स्थित जदयू के प्रदेश मुख्यालय में सीतामढी जिला के रुन्नीसैदपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी की पूर्व विधायक गुड्डी देवी के फिर से जदयू की सदस्यता ग्रहण के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए वशिष्ठ ने कहा कि पार्टी सर्वोपरि होती है. पार्टी से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं होता.
वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि शरद यादव पार्टी के नेता रहे पर उन्होंने सरेआम पार्टी की नीतियों और निर्देशों का उल्लंघन किया. पार्टी के निर्देश के बावजूद वे कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए और जिस दिन यहां पार्टी का कार्यक्रम था उस दिन दूसरे कार्यक्रम में शामिल हुए. ऐसा करके उन्होंने स्वेच्छा से दल का त्याग कर दिया. जदयू के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने जिस प्रकार का व्यवहार किया और पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन किया उसी के अनुसार राज्यसभा के सभापति का फैसला आया है और इसके लिए वह स्वयं जिम्मेवार हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके अलग होने से पार्टी को नुकसान होगा, वशिष्ठ ने कहा कि पार्टी में उनका जनाधार नहीं होने के बावजूद उन्हें पार्टी द्वारा सम्मान दिया गया और ऐसे में जब उन्होंने स्वयं इसका उल्लंघन किया तो नुकसान किस बात का, पार्टी तो यथावत है. इस अवसर पर बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष त्रिपुरारी प्रसाद सिंह के पुत्र शांतनु ने राजद छोड़कर जदयू की सदस्यता ग्रहण की.
गौरतलब है कि जदयू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर को बीती रात राज्यसभा से अयोग्य करार दिया गया तथा तत्काल प्रभाव से उनकी राज्यसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की तरफ से बीती रात शरद यादव को भेजे गये पत्र में यह जानकारी दी गयी. राज्यसभा के सभापति जदयू के इस तर्क से सहमत थे कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए और विपक्षी दलों के कार्यक्रमों में शामिल होकर स्वेच्छा से अपनी सदस्यता त्याग दी.
जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन से हटने और भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद जदयू के पूर्व अध्यक्ष यादव ने विपक्ष से हाथ मिला लिया था. शरद यादव को पिछले वर्ष सदन के लिए चयनित किया गया था और उनका कार्यकाल वर्ष 2022 में खत्म होने वाला था. अनवर का कार्यकाल अगले वर्ष की शुरुआत में खत्म होने वाला था.
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