पटना : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ने अपनी पार्टी के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर को गत 4 दिसंबर को राज्यसभा के अयोग्य करार दिये जाने को स्वागत योग्य कदम करार दिया है. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इस आदेश से किसी भी दल के भीतर इस तरह का आचरण करने वाले लोगों को सबक मिलेगा. पटना स्थित जदयू के प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि इन लोगों ने जो आचरण किया था उससे ही हम लोगों को लगा कि उन्होंने स्वेच्छा से दल का त्याग कर दिया है जिसके बाद गत दो सितंबर को माननीय सभापति के समक्ष दोनों के खिलाफ आवेदन दिया गया था.
आरसीपी सिंह ने कहा कि सभापति जी ने जो निर्णय लिया वह स्वागत योग्य है और यह आशा बंधी है कि इससे सभी दलों के सदस्यों को सबक मिलेगा. उन्होंने कहा कि गत 27 अगस्त को राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पटना में आयोजित रैली में भाग लेकर इन दोनों लोगों ने स्वेच्छा से जदयू का त्याग कर लिया था.
शरद और अनवर को राज्यसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराने पर लालू ने नीतीश कुमार पर प्रहार करते हुए इसे घृणा और ईर्ष्या की राजनीति बताया था. इस बारे में पूछे जाने पर सिंह ने आरोप लगाया कि घृणा और ईर्ष्या की राजनीति का पीएचडी अगर किसी के पास है तो वह लालू जी के पास है और उन्होंने अब तक ऐसी ही राजनीति की है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां कोई घृणा और ईर्ष्या की राजनीति नहीं होती. हमलोग सामाजिक सदभाव बरतते हैं.
जदयू सांसद हरिवंश, पार्टी प्रवक्ता निखिल मंडल और नीरज कुमार, बिहार विधान परिषद सदस्य संजय गांधी के साथ पत्रकारों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि लालू जी को शरद जी की राज्यसभा सदस्यता जाने की इतनी ही पीड़ा है तो जिस तरह बसपा सुप्रीमो मायावती के इस्तीफा देने पर उन्हें अपनी पार्टी से राज्यसभा भेजने का आफर दिया था वैसे ही शरद जी को अपनी पार्टी से राज्यसभा भेज दें.
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उन्होंने आरोप लगाया कि लालू जी ने मायावती के इस्तीफा देने के कुछ पल बाद ही उन्हें अपनी पार्टी से राज्यसभा भेजने का आफर दे दिया था पर शरद जी की सदस्यता समाप्त हुए कई घंटे बीत चुके हैं पर उन्होंने ऐसी कोई घोषणा अबतक नहीं की है. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने गत 4 और 5 दिसंबर की रात्रि में शरद यादव और अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता के अयोग्य करार दिया था.
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