शौचालय घोटाला : वोटर लिस्ट से बनायी फर्जी लिस्ट
ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर ने तैयार की थी लिस्ट पीएचईडी के और कर्मियों का भी आ सकता है नाम पटना : शौचालय घोटाले के लिए लाभुकों की लिस्ट बनाने में ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर ने वोटर लिस्ट की मदद ली थी. वोटर लिस्ट की मदद से उनके नाम को लिस्ट में अंकित कर लिया गया. उनके नाम के आगे […]
ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर ने तैयार की थी लिस्ट
पीएचईडी के और कर्मियों का भी आ सकता है नाम
पटना : शौचालय घोटाले के लिए लाभुकों की लिस्ट बनाने में ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर ने वोटर लिस्ट की मदद ली थी. वोटर लिस्ट की मदद से उनके नाम को लिस्ट में अंकित कर लिया गया.
उनके नाम के आगे खाता संख्या के रूप में किसी अन्य का खाता नंबर या गलत खाता नंबर चढ़ा दिया गया. ये बातें अब जांच में खुल कर सामने आयी हैं. बख्तियारपुर के साथ ही कई अन्य प्रखंडों में लाभुकों की जो लिस्ट बनायी गयी है, वह वोटर लिस्ट के अनुसार ही है.
वोटर लिस्ट से आमतौर पर यह जानकारी आसानी से मिल जाती है कि कौन व्यक्ति का घर कहां है और उसके पिता का नाम क्या है? वोटर लिस्ट का भी फर्जी लाभुकों की लिस्ट बनाने में भरपूर उपयोग किया गया. इधर तीनों ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर के खिलाफ पुलिस को फिलहाल इश्तेहार नहीं मिल पाया है.
कई पंचायतों के मुखिया ने भी किया था सहयोग
सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात भी सामने आयी है कि फर्जी लाभुकों की लिस्ट तैयार करने में ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर ने कई पंचायतों के मुखिया का भी सहयोग लिया था. यह बात पकड़े गये ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर ने पुलिस को बतायी थी.
लेकिन पुलिस फिलहाल इस बात का सत्यापन करने में लगी है कि किस मुखिया ने ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर की मदद की थी. क्योंकि इससे संबंधित साक्ष्य पुलिस के पास नहीं हैं, जिस कारण पुलिस फिलहाल किसी भी मुखिया पर हाथ नहीं डाल रही है. पुलिस ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर के बयान की सत्यता की जांच करने में लगी है.
मुखिया के पास आमतौर पर सरकार द्वारा चलायी जाने वाली कई योजनाओं के लाभुकों की लिस्ट व खाता संख्या होती है. जहां से आसानी से ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर को वह सूची उपलब्ध हो गयी. इसके अलावा जूनियर इंजीनियर भी जांच के दायरे में हैं, जिन्होंने बिना लिस्ट की जांच किये बिना ही उसे पास कर दिया.
कई अन्य प्रखंडों की लिस्ट भी निकली फर्जी: पुलिस की टीम ने बिहटा, पाली, मनेर, दानापुर आदि प्रखंडो के लाभुकों की लिस्ट का भी सत्यापन किया था.
बुधवार को उस लिस्ट की भी वहीं हालत थी, जो बाढ़, पंडारक, बख्तियारपुर आदि प्रखंडों की थी. इसमें भी गलत नाम व खाता नंबर दे दिया गया था. इसका लाभुकों से कोई संबंध नहीं था. कुछ ऐसे ग्रामीणों का भी एकाउंट नंबर दे दिया गया था, जिन्हें यह भी नहीं पता कि वे शौचालय के लिए लाभुकों की लिस्ट में शामिल हैं. लाभुकों की लिस्ट का सत्यापन करने के बाद पुलिस के पास अब पूरे साक्ष्य हैं.
बिटेश्वर की पूर्व से थी बैंक अधिकारी से जान-पहचान
पीएचईडी के रोकड़पाल बिटेश्वर की पूर्व से ही एसबीआई के बैंक अधिकारी शिव कुमार झा से जान-पहचान थी.इस कारण उसे सारा खेल मैनेज करने में ज्यादा समय नहीं लगा. विभाग का काम उसी बैंक से होता था, इसलिए उसकी जान-पहचान अच्छी हो गयी थी. इसके अलावा भी कई निजी बैंक के अधिकारियों से उसकी जान-पहचान विभाग के कारण ही हो गयी थी. इस कारण भी कई जगहों पर बिना कुछ किये ही अपने-आप चेक पास हो गये.
पीएचईडी विभाग के कइयों के नाम आ सकते हैं सामने : शौचालय घोटाले में पुलिस की जांच के दौरान पीएचईडी विभाग के कुछ और अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं.
क्योंकि पुलिस को यह नहीं पच रहा है कि विनय कुमार ने केवल रोकड़पाल बिटेश्वर प्रसाद की मदद से करोड़ों का घोटाला कर दिया और इस पर किसी अधिकारी की नजर तक नहीं गयी. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि जांच अभी जारी है. इस मामले में दो दर्जन और लोगों के नाम सामने आ चुके है और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.