नौकरी जाने की बात पर भड़के संविदा स्वास्थ्यकर्मी, स्थिति गंभीर, राजनीति तेज

पटना : बिहार में अपनी सेवा को स्थायी करने और समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर हजारों संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल अब उग्र रूप लेने लगी है. बिहार सरकार की ओर से कर्मियों को बर्खास्त करने की बात और जिलाधिकारियों से उनकी जगह पर दूसरे लोगों को बहाल करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2017 3:03 PM

पटना : बिहार में अपनी सेवा को स्थायी करने और समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर हजारों संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल अब उग्र रूप लेने लगी है. बिहार सरकार की ओर से कर्मियों को बर्खास्त करने की बात और जिलाधिकारियों से उनकी जगह पर दूसरे लोगों को बहाल करने के फरमान से संविदा स्वास्थ्यकर्मी गुस्से में हैं. पटना के गर्दनीबाग में विरोध प्रदर्शन कर रहे कर्मियों का कहना है कि सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है और उनकी बातों को सुन नहीं रही है. कर्मियों ने कहा है कि उनकी मांग नहीं मांगी गयी और जबरन उनको नौकरी से निकाला गया, तो वे विरोध में आत्मदाह जैसा कदम भी उठा सकते हैं.

उधर, संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. राजद के विधायक भाई विरेंद्र ने कहा है कि सरकार पूरी तरह फेल है और अगर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को हटाने की कार्रवाई करती है, तो राजद इसका विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को बातचीत के माध्यम से मसले का हल निकालना चाहिए. वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेता विनोद नारायण झा ने कहा कि काम नहीं करते हुए बेवजह को सरकार और लोगों को तंग करना और सिर्फ पैसे के लिए लड़ना यह उचित नहीं है. रहा सवाल विरोध दल का, तो उनलोगों ने तेज प्रताप के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए ऐसा क्यों नहीं किया. मामले पर कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने कहा कि संविदा स्वास्थ्यकर्मी यह बिल्कुल ठीक नहीं कर रहे हैं, उन्हें सरकार से तरीके से अपनी मांग रखनी चाहिए, इस तरह का दबाव बनाना बिल्कुल अनुचित है.

दूसरी ओर सरकारचार दिनों से सेवा स्थायी करने की मांग को लेकर हड़ताल पर गये संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा समाप्तकरने कीदिशा में कदम उठा रही है. जानकारी के मुताबिक बुधवार को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने पत्र जारी कर सभी डीएम और सिविल सर्जन को आदेश दिया है कि हड़ताली संविदा कर्मियों को सेवा से मुक्त कर उनकी जगह दूसरे कर्मियों की बहाली करें सरकार की इस बड़ी कार्रवाई के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया है. सभी लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पटना में हजारों की संख्या में संविदा स्वास्थ्यकर्मी जमा हैं.

राज्य संविदा स्वास्थ्य संघ के सचिव ललन कुमार सिंह का कहना है किइसआंदोलन में राज्यभर के 80 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मी जिनमें हेल्थ मैनेजर, आयुष चिकित्सक, कांट्रैक्ट एमबीबीएस चिकित्सक, पारामेडिकल कर्मी ,संजीवनी डाटा ऑपरेटर, डीसीएम, बीसीएम तक शामिल हैं. सरकार और संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की लड़ाई में मरीजों की मुश्किलें और बढती जा रही है और पीएचसी ,एपीएचसी समेत बड़े अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा प्रभावित है. बिहार के अन्य इलाकों और जिलों से भी स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होने की खबरें मिल रही है. कोल्डचेन कक्ष से कुरियरद्वारा आइस पैक व दवा उठाव नहीं करने से समस्या बढ़ती जा रही है.

मुजफ्फरपुर जिले में हड़ताल पर गये संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि जब तक हमारे मांगी नहीं मानी जायेगी तब तक हम कार्य पर नहीं लौटेंगें. पीएचसी में बैठक नहीं हो पाया है, जिससे विभागीय प्रगति का कार्य रुका गयाहै. सरकार को हमारी मांगों को मानना पड़ेगा. उधर, संविदा पर नियुक्त कर्मियों ने इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग से भी गुहार लगायी है. बिना वार्ता ही संविदा समाप्त किये जाने पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की किरकिरी हो रही है.जबकि, संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने भी कड़े तेवर अपना लिए हैं. हड़ताली कर्मियों के संगठन के एक अधिकारी ने इस आदेश को सरकार का तानाशाही रवैया बताया है. साथ ही आंदोलन को आगे और तेज करने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि सरकार के इस आदेश के बाद सभी हड़ताली कर्मी सामूहिक रूप से भूख हड़ताल पर जायेंगे और जरूरत पड़ी तो आत्मदाह भी करेंगे.

बिहारसरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजनद्वाराजारी निर्देश में साफ कहागया है कि अपने-अपने जिले के सभी हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा के विरुद्ध नये कर्मियों की बहाली की जाये. विभाग का तर्क है कि इनके हड़ताल पर जाने से राज्य की स्वास्थ्य जैसी जरूरी सेवा पर असर पड़ रहा है. महाजन द्वारा भेजे पत्र में कहा गया है कि काम का बहिष्कार करने वाले कर्मियों का पेमेंट नहीं किया जाये और उनके वर्क कॉन्ट्रैक्ट कोसमाप्त करने की प्रक्रिया भी जल्द से जल्द शुरू की जाये. जो भी कोई काम पर वापस लौटने वाले शख्स को रोकने का प्रयास करेगा, या काम में बाधा डालने की कोशिश करेगा, उसपर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

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