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शरद यादव का नीतीश कुमार पर हमला, कहा- बिहार की जनता को दिया धोखा

नयी दिल्ली / पटना : शरद यादव ने दिल्ली में गुरुवार को प्रेस वार्ता कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है. मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नोटिस जारी किया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह नोटिस ‘तीर’ के चिह्न पर दावे को […]

नयी दिल्ली / पटना : शरद यादव ने दिल्ली में गुरुवार को प्रेस वार्ता कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है. मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नोटिस जारी किया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह नोटिस ‘तीर’ के चिह्न पर दावे को लेकर शरद यादव गुट के नवनियुक्त अध्यक्ष के राजशेखरन द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया. इसके बाद शरद यादव ने दिल्ली में प्रेस वार्ता आयोजित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. मालूम हो कि जुलाई, 2017 में महागंठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ नीतीश कुमार ने गठबंधन कर बिहार में सरकार बनायी थी. उसके बाद ही जदयू दो फाड़ में बंट गयी थी.

नीतीश कुमार पर बोला हमला

शरद यादव ने बिना किसी का नाम लिये कहा कि महागंठबंधन को तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बना कर बिहार की जनता को धोखा दिया गया है. जदयू के लोगों ने यह महागठबंधन तोड़ा है. जिसके खिलाफ जनता ने मैंडेट दिया, उसके साथ सरकार बना कर जनता से किये हुए वादे और जनता से मिले प्यार को नकार कर सरकार बनाने का फैसला किया गया है. जिन लोगों के खिलाफ लड़ रहे थे, कहा था कि ‘किसी कीमत’ पर भाजपा में नहीं जायेंगे. उन्हीं लोगों की गोद में जाकर बैठ गये. कई राज्यों में चुनाव जीतने वाली भाजपा का विजय रथ बिहार की जनता ने रोका था. यह सूबे की 11 करोड़ की जनता का फैसला था. बिहार की जनता का फैसला दरकिनार कर बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनायी गयी है. हमारी पार्टी के वसूल हैं. यह पार्टी के संविधान के खिलाफ है.

राज्यसभा की सदस्यता रद्द किये जाने पर कहा- लड़ाई जितनी दूर तक जायेगी, लड़ेंगे

शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता रद्द किये जाने को लेकर कहा कि राज्यसभा के सभापति (वेंकैया नायडू) के फैसले को लेकर मीडिया में आ रही खबरों को पढ़ चुका था. इसके लिए मैं मानसिक रूप से तैयार था. नतीजों की परवाह कभी मैंने नहीं की. कई बार इस्तीफा दे चुका हूं. इस बार राज्यसभा के सभापति की ओर से राज्यसभा सदस्यता रद्द करने से संबंधित भेजा गया रजिस्टर्ड पत्र उस समय भेजा गया, जब मैं गुजरात के दूरदराज के एक गांव में था. राज्यसभा सदस्यता रद्द करने से संबंधित पत्र मेरे घर के दरवाजे पर तैनात एक सिपाही को दे दिया गया. यह लड़ाई साझी विरासत बचाने की है. संविधान बचाने की लड़ाई है.

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