राज्यसभा सदस्यता मामले में सभापति का फैसला सर-माथे पर, लड़ाई आगे रहेगी जारी : शरद

नयी दिल्ली: वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव राज्यसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित किये जाने के सभापति एम वैंकेया नायडू के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. शरद यादव ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह सदन और सभापति की संस्था का सम्मान करते हुए उनके फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2017 6:01 PM

नयी दिल्ली: वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव राज्यसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित किये जाने के सभापति एम वैंकेया नायडू के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. शरद यादव ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह सदन और सभापति की संस्था का सम्मान करते हुए उनके फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा सभापति का फैसला सर-माथे पर, मैं इस फैसले के लिये मानसिक रूप से पहले ही तैयार था. अभी यह लड़ाई आगे जारी रहेगी.

चुनाव आयोग के फैसले की तरह इस फैसले को भी कानून की अदालत में और जनता की सर्वोच्च अदालत में ले जायेंगे. शरद यादव ने कहा कि आयोग और न्यायालय से लेकर जनता की अदालत, इस लड़ाई के तमाम मोर्चे हैं, वास्तविक लड़ाई सिद्धांत की है, जिसका मकसद जनता से करार तोड़ने वालों को बिहार और देश भर में बेनकाब करना है.

जदयू द्वारा सैद्धांतिक आधार पर शरद को पहले ही इस्तीफा देने की नसीहत देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह 43 साल में 11 बार संसद सदस्य की शपथ ले चुके हैं और उन्होंने तीन बार राज्यसभा से इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा सिद्धांत का तकाजा तो यह है कि नीतीश को जनता से हुए करार को रातों रात तोड़ने के बाद विधानसभा भंग कर फिर भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए था.

इस मामले को राज्यसभा की किसी समिति के सुपुर्द करने के बजाय नायडू द्वारा त्वरित न्याय का हवाला देकर फैसले को सही ठहराये जाने के सवाल पर यादव ने कहा भगोड़ा घोषित किये गये विजय माल्या का मामला आचरण समिति को भेजा गया, यहां तक कि आतंकवादी कसाब को भी न्याय के सभी विकल्प मुहैया कराये गये, जबकि शरद यादव के लिये न्याय के सभी दरवाजे बंद कर सीधे सभापति ने फैसला सुना दिया. नायडू से अपनी घनिष्ठ मित्रता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि त्वरित न्याय का अगर यही मानक है तो फिर विशेषाधिकार समिति और आचरण समिति की व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए.

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