पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के कर्मचारियों में धीरे-धीरे आक्रोश पनपता जा रहा है. शनिवार को बोर्ड के कर्मचारियों ने परिसर में जमकर हंगामा किया और काम छोड़कर बाहर निकल गये. कर्मचारियों की मांग है कि जब तक बोर्ड के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ पुख्ता सबूत न हो, तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाये. बोर्ड के कर्मचारी काफी गुस्से में थे और उन्होंने कार्यालय में जमकर अपना विरोध जताया. सभी कर्मचारी इस बात से खासे नाराज हैं कि कल उनके साथियों को गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि बिहार बोर्ड के कई कर्मचारी पुलिस की रडार पर हैं. कर्मचारियों को कहना है कि पुलिस आती है और बेवजह कर्मचारियों उठाकर चल देती है. वह आगे से कतई यह बर्दाश्त नहीं करेंगे.
इससे पूर्व शुक्रवार को एमटीएस परीक्षा में पास कराने के नाम पर ठगी करने के आरोप में बिहार बोर्ड के तीन कर्मियों को पुलिस ने मामले में संलिप्तता को लेकर पूछताछ के लिए थाने ले गयी थी और सत्यापन के बाद शुक्रवार की देर रात छोड़ दिया था. वहीं, मामले की जांच करने के लिए कोतवाली थाने में मामला दर्ज कर लिया गया था. डीएसपी विधि व्यवस्था डॉ मो शिबली नोमानी ने बताया कि जिन नंबरों से फोन आया था, ट्रू कॉलर में भी इन कर्मियों का नाम आ रहा था, जिसके कारण शक के आधार पर पूछताछ के लिए लाया गया था. हालांकि, इन कर्मियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर तीनों को छोड़ दिया गया है. साथ ही बोर्ड के प्रशाखा पदाधिकारी नरेंद्र कुमार के बयान के आधार पर अज्ञात के खिलाफ कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
क्या है मामला
पटना निवासी राजेश गुंजन व अन्य ने संविदा पर कंप्यूटर ऑपरेटर पद के लिए एमटीएस का फॉम भरा था. इन अभ्यर्थियों ने परीक्षा भी दी थी. इसके बाद टाइपिंग स्पीड स्टेट भी पास कर लिये. इसी बीच उसे पांच दिसंबर की सुबह आठ बजे कर 42 बजे एक फोन आया और उसने अपने आप को बिहार बोर्ड का स्टाफ दीपक वर्मा बताया. साथ ही कहा कि अगर नौकरी चाहिए, तो 80 हजार रुपये देने होंगे. इसके बाद गुंजन ने बातचीत को रिकॉर्ड भी कर लिया. कॉल करनेवाले ने पैसे डालने के लिए अकाउंट नंबर भी दिया. इसके बाद राजेश ने यह जानकारी बिहार बोर्ड प्रशासन और एसएसपी मनु महाराज को दी. कई अन्य उम्मीदवारों से चंदन शर्मा व रामसकल के नाम पर पैसे मांगने की सूचना मिली है.
क्या कहते है बिहार बोर्ड के अध्यक्ष
बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया था कि पूरे मामले की जांच पुलिस द्वारा करायी गयी है. जांच में पाया गया है कि इनमें से किसी कर्मचारी की संलिप्तता नहीं है. जालसाज गिरोह साइबर कैफे के माध्यम से ही डिटेल हासिल कर रहे हैं.
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