बिहार : निजी अस्पतालों ने पाल रखे हैं दलाल कमीशन पर बच्चों को कराते हैं भर्ती
इलाज का खेल. बच्चों को इलाज के लिए लाने पर मिलते हैं तीन हजार पटना : पटना के बाइपास इलाके में संचालित हो रहे अस्पतालों में बच्चे कमाई का अड्डा बन गये हैं. मासूम बच्चों के इलाज के नाम पर यहां मोटी कमाई की जाती है. इनका नेटवर्क जिलों से लेकर गांवों तक फैला हुआ […]
इलाज का खेल. बच्चों को इलाज के लिए लाने पर मिलते हैं तीन हजार
पटना : पटना के बाइपास इलाके में संचालित हो रहे अस्पतालों में बच्चे कमाई का अड्डा बन गये हैं. मासूम बच्चों के इलाज के नाम पर यहां मोटी कमाई की जाती है. इनका नेटवर्क जिलों से लेकर गांवों तक फैला हुआ है. बिहार के अन्य जिलों से रेफर होकर आनेवाले अधिकतर बच्चे बाइपास के अस्पतालों में ही सौदेबाजी के तहत पहुंच रहे हैं. पीएमसीएच जाने की जगह इन्हें प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचा दिया जाता है. इसका खुलासा दलालों से हुई पूछताछ के बाद हुआ.
पटना में बच्चों का बेहतर इलाज के नाम पर जिलों से रेफर कर दिया जाता है. इनमें सबसे अधिक पीलिया, दिमागी बुखार, निमोनिया, कालाजार आदि बीमारी से पीड़ित बच्चे होते हैं. इतना ही नहीं इनमें कुछ ऐसे भी मरीज होते हैं, जिनको पीएमसीएच व आईजीआईएमएस के बच्चा वार्ड में भी रेफर किया जाता है. लेकिन, बच्चों के सौदागर सीधे बाइपास इलाके में संचालित हो रहे बच्चों के अस्पतालों में पहुंचा देते हैं. यह पूरा खेल जिलों के प्राइवेट अस्पताल से शुरू होकर पटना तक पहुंचने के रास्ते में चलता है.
मुक्त में महंगे टीका का देते हैं लालच
बाइपास एरिया में 15 से अधिक बच्चों के अस्पताल संचालित हो रहे हैं. यहां बच्चों के परिजनों को कई तरह का लालच अस्पताल मालिक देते हैं. कोई जीरो से पांच साल तक मुफ्त में महंगे टीका लगाने की बात कहता है, तो कोई बच्चों के लिए ओपीडी नि:शुल्क की बात कहता है. लेकिन, मजे की बात तो यह
है कि छोटी-मोटी बीमारी
के बाद भी मरीज को भर्ती
किया जा रहा है. लेकिन, यहां से डिसचार्ज होने के बाद
50 से 60 हजार रुपये तक का बिल थमा दिया जाता है. वहीं, अगर ऑपरेशन की बात
आती है, तो मरीजों को डेढ़ से दो लाख रुपये तक चुकाने पड़ते हैं.
इस तरह से दलाल लाते हैं इन अस्पतालों में
नौनिहाल चिल्ड्रेन व वात्सल्य अस्पताल के लिए काम कर रहे मनीष नाम के एक दलाल से अस्पताल के सामने मुलाकात हो गयी. मरीज के परिजन समझ कर उसने बातचीत की, इस दौरान मनीष ने कहा कि बाइपास एरिया में संचालित हो रहे बच्चों के अस्पताल मालिकों ने एंबुलेंस चालकों को मरीज लाने का ठेका दिया है. एंबुलेंस दलाल के माध्यम से संचालित होते हैं. अनुबंध के मुताबिक चालक मरीज को उनके अस्पताल में पहुंचाता है.
मरीज को अस्पताल में पहुंचाने में एंबुलेंस का किराया व उसके उपचार में खर्च होनेवाली राशि का 10 प्रतिशत चालक और दलाल को मौके पर ही दे दिया जाता है. दलाल की मानें, तो दो से तीन हजार रुपये एक मरीज को लाने में मिल जाता है. वहीं, इस मामले में सिविल सर्जन डॉ पीके झा का कहना है कि प्राइवेट एंबुलेंस व दलालों को पकड़ने की कार्रवाई हो चुकी है. हालांकि, एंबुलेंस चालकों की मौखिक शिकायत मिल चुकी है, इस मामले पर जल्द ठोस कदम उठाने के बाद कार्रवाई होगी.