बिहार : क्षमा यात्रा पर निकलें तेजस्वी तभी होगा प्रायश्चित : संजय सिंह

पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी यात्रा पर निकलने वाले हैं. उन्हें क्षमा यात्रा करनी चाहिए. जिस तरह से लालू प्रसाद और उनके परिवार ने गरीबों का खून चूस कर अकूत संपत्ति बनायी है, उसके लिए तेजस्वी को पूरे बिहार में घूम-घूम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2017 6:05 AM
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी यात्रा पर निकलने वाले हैं. उन्हें क्षमा यात्रा करनी चाहिए. जिस तरह से लालू प्रसाद और उनके परिवार ने गरीबों का खून चूस कर अकूत संपत्ति बनायी है, उसके लिए तेजस्वी को पूरे बिहार में घूम-घूम कर लोगों से क्षमा ही मांगनी चाहिए. क्षमा यात्रा में तेजस्वी अपने कान कोपकड़कर बिहार की जनता से यह स्वीकार करें कि हमसे गलती हो गयी.
उन्होंने घोटाले किये, लोगों से जबरदस्ती जमीन लिखवाई, गरीबों का खून चूसा, इसके लिए बिहारकी जनता उन्हें क्षमा करें. तब जाकर तेजस्वी का प्रायश्चित हो पायेगा. उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अपने मुंह से विकास की बात न करें. बिहार की जनता ने लालू प्रसाद को मौका दिया.
1990 से लेकर 2005 तक बिहार में लालू यादव सत्ता में रहे, लेकिन उनकी विकास यात्रा देखिए पूरे बिहार का बजट मात्र साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये ही था. जब किसी राज्य का सालाना बजट ही इतना कम हो, वो राज्य तरक्की कैसे कर सकता था. नीतीश कुमार ने उस पिछड़े बिहार को अगली पंक्ति में खड़ा करने का काम किया है. बिहार का बजट एक लाख 65 हजार करोड़ रुपये है.
उन्होंने कहा कि लालू राज में विकास का मतलब सड़कों पर गड्ढे, जिला मुख्यालय से गांव का संपर्क रास्ता ना होना, गरीबों को और गरीब रहने देना, शिक्षा के क्षेत्र में चरवाहा विद्यालय खोलना, शिक्षकों की बहाली न करना, दर्जनों नरसंहार कराना, लूट, हत्या, फिरौती, अपहरण के उद्योग स्थापित कराना था.
15 साल में हजारों उद्योगपति बिहार छोड़कर पलायन कर गये. डॉक्टर, इंजीनियर अपना घर बार बेचकर बिहार से बाहर चले गये. संजय सिंह ने कहा कि अपनी सरकारी योजनाओं की समीक्षा करना नीतीश कुमार को बहुत ही भली भांति आता है.
वह जानते हैं कि किस तरह से सरकारी योजनाएं चलती है और कैसे अंतिम व्यक्ति तक इस योजना का लाभ मिल पाता है. शायद लालू राज में इस समीक्षा की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती होगी, क्योंकि उस राज्य में विकास के काम हुए ही नहीं तो समीक्षा किस बात की.
समीक्षा तो उस समय होती है जब काम होता है. उस योजना की देख-रेख करने वाला कोई गंभीर व्यक्ति होता है. लालू राज में तो सरकारी योजनाओं की राशि लालू प्रसाद के खाते में जाती थी. आज उसी का खामियाजा लालू प्रसाद और उनके पूरा परिवार भुगत रहा है.

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