पटना : भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पिछले 22 अगस्त को एक साथ तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार दिये जाने के बाद संसद के आगामी सत्र में भारत सरकार की ओर से तीन तलाक और तलाकशुदा महिलाओं के भरण पोषण के लिये आने वाले संभावित बिल का देश के राजनीतिक दलों व मुस्लिम समाज के प्रगतिशील लोगों को समर्थन करना चाहिए. उन्होंने कहा, 31 साल पहले 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने शहबानो मामले में गुजारा भत्ता का निर्णय दिया था, मगर तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार ने कानून में संशोधन कर मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को उससे वंचित कर दिया था.
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें किसी भी धर्म के अंदरूनी मामले, रीति-रिवाज आदि में कोई हस्तक्षेप और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती है मगर महिलाओं, बच्चों के साथ होने वाले भेदभाव, तीन तलाक, दहेज प्रथा, बाल विवाह, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों को रोकने की पहल जरूर करेगी. सामाजिक सुधार की कार्रवाई का कुछ लोग विरोध करते हैं, सती प्रथा के उन्मूलन का भी कुछ लोगों ने विरोध किया था. तीन तलाक जैसी कुप्रथा का धर्म से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के साथ अन्याय है.
सुशील मोदी ने कहा, बिहार में जब 2005 में एनडीए की सरकार बनी तो मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को भरण पोषण के लिए प्रति महीने 10 हजार रुपये देने का निर्णय लिया गया. जिसे अब बढ़ा कर 25 हजार रुपये करने का सरकार ने निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना अंतर्गत सरकारी स्कूलों की भांति मदरसों से 10वीं व 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण करने वालों को भी छात्रवृत्ति दी जायेगी. मान्यता प्राप्त मदरसों में कक्ष, पेयजल, शौचालय, पुस्तकालय, कंप्यूटर आदि के लिए राज्य सरकार सहायता देगी. वक्फ की भूमि का सर्वे करा कर सरकार उसे अतिक्रमण मुक्त करायेगी और वहां वक्फ कमिटी का कार्यालय, सार्वजनिक पुस्तकालय व बहुउद्देश्यीय भवन आदि का निर्माण कराया जायेगा.
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